Kanpur: प्रदेश की जीडीपी में 10 फीसदी योगदान फिर भी सौतेला व्यवहार...ट्रिपल इंजन सरकार में भी नहीं मिल रही शहर के विकास को रफ्तार
राज्य राजधानी क्षेत्र से बाहर किए जाने पर उद्यमियों ने जताई नाराजगी
कानपुर, अमृत विचार। दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर लखनऊ और आसपास के पांच जिलों को मिलाकर राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) बनाने के फैसले में कानपुर को शामिल नहीं किए जाने से शहर के उद्यमी नाराज हैं। उनका कहना है कि ट्रिपल इंजन की सरकार के बावजूद कानपुर का कोई भला नहीं हो रहा है।
प्रदेश की जीडीपी में शहर का लगभग 10 फीसदी योगदान है। इसके बाद भी लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। शहर के हिस्से में आने वाली सुविधाएं छीनकर दूसरे जिलों को दी जा रही हैं। ऐसे में अब शहर को विशेष दर्जा दिलाने की मांग पर संघर्ष किए जाने की जरूरत है।
राज्य राजधानी क्षेत्र में शामिल जिलों में सुनियोजित विकास के साथ नागरिक और अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विस्तार का मार्ग प्रशस्त होगा और प्रदेश के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। ऐसे में कानपुर के लोगों का मानना है कि शहर तरक्की के मामले में और पिछड़ जाएगा।
उद्यमियों के अनुसार प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 24.39 लाख करोड़ रुपये है। इसमें उद्योग का हिस्सा लगभग 28 फीसदी, सर्विस सेक्टर 50 फीसदी व कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 22 फीसदी है। कानपुर उद्योग और सर्विस सेक्टर में महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित करता है।
सकल घरेलू उत्पाद में शहर की हिस्सेदारी लगभग 10 फीसदी है। प्रदेश की जीडीपी में योगदान के मामले में पहले स्थान पर काबिज गौतमबुद्ध नगर दिल्ली एनसीआर का हिस्सा है, लेकिन कानपुर को राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) से बाहर कर दिया गया है।
ट्रिपल इंजन की सरकार है। इसके बाद भी शहर एससीआर में शामिल नहीं हो सका। यह दुर्भाग्य की बात है। अगर एससीआर में शहर को शामिल नहीं किया गया है, तो बदले में स्पेशल पैकेज मिलना चाहिए। शहर में धीमे पड़े विकास कार्यों के लिए यह समय की जरूरत है।- सुनील वैश्य, पूर्व अध्यक्ष, आईआईए
कानपुर एससीआर का हिस्सा नहीं होगा और हम उद्यमी इस ओर खड़े होकर बगल के जिलों में विकास होता देखेंगे। शहर प्रदेश में राजस्व देने के लिहाज में सबसे महत्वपूर्ण जिलों में है। ऐसी स्थिति में शहर को एक विशेष दर्जा देने की जरूरत है, ताकि उसकी ख्याति और पहचान बरकारार रह सके।- उमंग अग्रवाल, महासचिव, फीटा
जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के अनुसार प्रदेश में शहरों के बीच विकास का बंटवारा करना चाहिए। एससीआर में शामिल होना शहर का हक था, लेकिन छीन लिया गया। स्पेशल दर्जा अब शहरवासियों और कारोबारियों का हक है।- विनय कुमार मित्तल, उद्यमी
एससीआर से शहर को बाहर करके उद्यमियों की मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। शहर विकास की योजनाओं में पीछे न रहे, इसके लिए जल्द ही सरकार की ओर से कोई भरपाई होनी चाहिए। यहां का उद्योग पूरे प्रदेश को कुछ न कुछ देता है।- ऋषि निगम, उद्यमी
शहर को अगर एससीआर का दर्जा मिल जाता तो तेजी से तरक्की कर सकता था। यहां विकास दोगुनी तेजी से दौड़ता। सरकार की ओर से विकास के नाम पर शहर को जो कुछ मिला भी है, उसका काम इतनी धीमी गति से चल रहा है कि पता नहीं कब पूरा होगा।- सतीश कुमार गुप्ता, उद्यमी
मेट्रो देने से कोई मेट्रोपॉलिटन शहर नहीं बनता। उसके लिए विकास की तमाम योजनाओं से शहर को जोड़ना जरूरी है। एससीआर विकास की एक ऐसी ही योजना थी जिससे शहर तेज गति से तरक्की कर सकता था। अब शहर को एक विशेष दर्जा मिलने की बहुत जरूरत है।- शिव कुमार गुप्ता, उद्यमी
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