मुरादाबाद : पशुओं को चारा खिलाने के दौरान बरतें सावधानी, डीएम ने जारी की एडवाइजरी

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Published By Bhawna
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इंफेक्शन से सुरक्षित रखने के लिए सभी गो आश्रय स्थलों व पशुपालकों को रखना होगा ध्यान

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने बारिश के दौरान पशुओं को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए जिले के सभी गो आश्रय स्थलों और पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि बारिश में आर्द्रता बढ़ने से पशुओं को दिए जाने वाले चारा, भूसा और दाने में फंगस लग जाता है। इसके सेवन से पशुओं में फंगस पनपता है और उनकी आंतों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

जिलाधिकारी ने गो आश्रय स्थलों और पशुपालकों को पशुओं को चारा देने के दौरान बारिश को देखते हुए सावधानियां बरतने के लिए एडवाइजरी जारी की है। बताया कि खेतों में उपलब्ध ज्वार का हरा चारा नीचे से न काटा जाए। ज्वार की फसल पर तीन से चार बार बारिश हो चुकी हो उसके बाद ही ज्वार पशुओं को खिलाई जाए, क्योंकि बरसात से पूर्व ज्वार की छोटी फसल में हाइड्रोसेनिक एसिड नाम का जहर पाया जाता है जिसके सेवन से पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे खेत जिनमें बोए गए हरे चारे पर कीटनाशक दवा व यूरिया का छिड़काव किया गया हो उन खेतों का हरा चारा पशुओं को तब तक न खिलाया जाया जब तक कीटनाशक का असर समाप्त न हो जाए। 

ऐसे खेत जिनमें जलभराव है उन खेतों से लाकर हरा चारा पशुओं को न खिलाएं। क्योंकि कई दिनों तक पानी में डूबे रहने के कारण हरे चारे में कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं। बरसात के दौरान भंडारित भूसे के भीगने से फंगस बहुत जल्दी पनपती है। फंगस लगे भूसे के सेवन से पशुओं की आंतों में संक्रमण फैल जाता है। इसलिए भीगे हुए भूसे को पशुओं को न खिलाएं। भूसे में फंगस का संक्रमण हुआ है या नहीं इसकी पहचान भूसे को हाथ में लेकर मुट्ठी में बंद करने के दौरान हो सकती है। यदि मुट्ठी खोलने पर भूसा बिखर जाए तो भूसा पशुओं को खिलाने योग्य है और अगर भूसा मुट्ठी बंद करने के दौरान आपस में चिपक जाए तो भूसे में फंगस लगा हुआ है। ऐसा भूसा को पशुओं को बिल्कुल न खिलाएं।

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