GDCE paper leak: रेलकर्मियों समेत पांच ने किया पेपर लीक, 4.5 लाख में बेचा पेपर

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Published By Muskan Dixit
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प्रयागराज स्थित रेलवे भर्ती बोर्ड की डीजीसीआई पेपर लीक मामला

लखनऊ, अमृत विचार: प्रयागराज रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा 2021 में आयोजित जनरल डिपार्टमेंट कंपटीटिव एग्जाम (जीडीसीई) का पेपर रेलकर्मी प्रशांत सिंह मीना ने पांच लोगों के साथ मिलकर लीक किया था। पेपर लीक कराने वालों में चार परीक्षा के बाद से फरार हो गए। वहीं, आगरा कैंट स्टेशन का कथित पार्सल पोर्टर विनोद कुमार की भूमिका भी पाई गई। इस मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम अभ्यर्थियों को पेपर मुहैया कराने वाले गणपत विश्नोई, रेख सिंह, अमित और कैलाश मीना की तलाश कर रही है। गणपत ही इस गिरोह का सरगना बताया जा रहा है। वह राजस्थान का रहने वाला हे।
सीबीआई ने पेपर लीक मामले में 11 रेलकर्मियों व एपटेक कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर बृहस्पतिवार को राजस्थान और यूपी के 11 ठिकानों पर छापा मारकर अहम सुबूत जुटाए थे। इससे पहले इस प्रकरण की जांच रेलवे की विजिलेंस ने की थी। विजिलेंस की रिपोर्ट में बताया गया कि अभ्यर्थी रेलकर्मी भूप सिंह ने बयान दिया कि उसे अलीगढ़ के ट्रैक मेंटेनर प्रशांत कुमार मीना ने दो लाख रुपये लेकर पेपर मुहैया कराया था। प्रशांत ने उसे 5 अगस्त की रात गाजियाबाद बुलाया था, जहां से ऑटो के जरिए एक कमरे में ले गया। वहां पहले से उसके सहकर्मी हंसराज मीना, प्रमोद कुमार मीना, पीतम सिंह और धर्मदेव मौजूद थे। उन सभी को रातभर पेपर के प्रश्नों के जवाब याद कराए गए। सुबह होने पर उन्हें परीक्षा केंद्रों पर ले जाकर छोड़ दिया।

एपटेक ने पेपर को सुरक्षित रखने के प्रोटोकॉल का नहीं किया पालन
विजिलेंस की जांच में सामने आया कि प्रयागराज रेलवे भर्ती बोर्ड के चेयरमैन राजेश कुमार ने 15 अप्रैल 2021 को एपटेक कंपनी द्वारा अधिकृत की गई कर्मचारी प्रियंका तिवारी को पेपर और आंसर-की दी थी। हालांकि विजिलेंस यह पता नहीं लगा सकी कि पेपर कब और कहां से लीक हुआ। विजिलेंस ने मुंबई के साइबर फॉरेंसिक एनालिस्ट कंपनी माइक्रॉन कंप्यूटर से जांच करायी। कंपनी ने बताया कि एपटेक ने पेपर को सुरक्षित रखने के लिए फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल और फायरवॉल समेत जरूरी नियमों का इस्तेमाल नहीं किया। पासवर्ड से सुरक्षित नहीं होने पर इसे एपटेक के कर्मचारी आसानी से देख सकते थे। वहीं एपटेक भी अधूरी जानकारियां देकर विजिलेंस को गुमराह करता रहा। इसी वजह से सीबीआई ने एपटेक को भी नामजद किया है।

4.50 लाख रुपये में बेचे थे पेपर
प्रशांत कुमार मीना ने अपने बयान में कहा कि कैलाश मीना ने अभ्यर्थियों को गाजियाबाद बुलाया। इसके बाद सभी को उनके पास भेजा। दोनों की मुलाकात राजस्थान में सरकारी नौकरी के प्रयास में हुई थी। कैलाश ने ही उसे प्रति अभ्यर्थी 4.50 लाख रुपये में डीजीसीई का पेपर मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। इस मामले में भूप सिंह, जीतेंद्र कुमार मीना, प्रशांत कुमार मीना, प्रमोद कुमार मीना, हंसराज मीना, पीतम सिंह, धर्मदेव, हरिओम मीना, मोहित भाटी, महावीर सिंह, वेगराज व मान सिंह बयान दर्ज हो चुके हैं।

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