SC/ST Reservation : दस साल बाद नीले रंग का झंडा और बैनर के साथ दिखा हुजूम

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Published By Vinay Shukla
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सुप्रीम कोर्ट के एससीएसटी वर्ग में उपवर्गीकरण समेत कई अन्य मांगों को लेकर बसपा सहित अन्य दलित संगठनों ने किया प्रदर्शन

बाराबंकी, अमृत विचार। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी/एसटी वर्गो में उपवर्गीकरण करने, क्रीमीलेयर लागू करने, आरक्षण का लाभ एक ही पीढ़ी तक सीमित करने, उपवर्गीकरण का अधिकार राज्य सरकारों को दिये जाने समेत कई अन्य आदेशाें को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा एक जुट होकर विशाल जन आंदोलन भारत बन्द को सफल बनाने के लिए विशालजन समूह बुधवार को डॉ. अम्बेडकर छात्रावास पैसार में उमड़ पड़ा। बसपा समेत कई अन्य संगठनों ने छात्रावास से गाजे-बाजे एवं जोशिले नारों के साथ पैदल मार्च करते हुये पटेल चौराहा पहुंच कर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट केडी शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय कुमार त्रिवेदी को सौंपा। इस प्रदर्शन में करीब दस साल बाद नीले रंग का झंडा़ बैनर लिए बसपाईयों का हुजूम भी शहर में दिखा।

बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा भारत बंद के आह्वान को समर्थन दिया गया था। हालांकि शहर समेत पूरे जिले में इसका कोई खासा असर तो नहीं दिखा लेकिन नीले रंग का झंडा, बैनर और बाबा साहब अमर रहे के नारों के बीच शहर में निकले बसपाईयों के हुजूम ने अपनी आवाज बुलंद की। करीब दस साल बाद नीले रंग में यह जुलूस शहर में दिखाई दिया। कार्यकर्ताओं ने हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियों को लेकर जोरदार नारे बाजी की। बसपा समेत भीम आर्मी, भारतीय बौद्ध महासभा, आंबेडकर एकता मंच और समस्त समाज सेवी एवं प्रबुद्धजन संगठन समेत कई अन्य दलों ने भारत बंद के इस आंदोलन में शामिल होकर पीएम और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट केडी शर्मा और न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय कुमार त्रिवेदी को सौंपा। भेजे गए ज्ञापन में मांग किया कि सर्वोच्च न्यायालय के 1 अगस्त 2024 के आदेश को तत्काल केन्द्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर निष्प्रभावी किया जाए। अथवा संसद का विशेष सत्र आहूत करके भारतीय संविधान की रक्षा एवं देश हित में संविधान संशोधन विधेयक लाकर आदेश को शून्य घोषित किया जाये तथा आरक्षण को भारतीय संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाये।

भारतीय प्रशासनिक सेवा में लेट्रल इंट्री के माध्यम से भारत सरकार द्वारा बिना परीक्षा कराये की जा रही भर्ती पर तत्काल रोक लगायी जाये अथवा इस भर्ती में एससी/एसटी/ओबीसी की भागीदारी व हिस्सेदारी संवैधानिक आरक्षण की प्रक्रिया के अन्तर्गत सुनिश्चित की जाये एवं उसका मीडिया के माध्यम से खुलासा किया जाये। सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों में इन वर्गों को आरक्षण देने के साथ अनुपालन न करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। उच्चतम व उच्च न्यायालयाें में चंद घरानों का ही कब्जा चला आ रहा है। इसलिए न्यायपालिका में न्यायधीशों की भर्ती के लिए कॉलेजियम व्यवस्था को समाप्त करके भारतीय न्यायिक सेवा आयोग का गठन करके भर्ती की जाए समेत 11 सूत्रीय मांगें शामिल रहीं।

अलग अलग संगठनों के इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सांसद तनुज पुनिया, पूर्व सांसद डॉ. पीएल पुनिया, शिवबरन सिंह जिलाध्यक्ष भीम आर्मी, हरिनन्दन सिंह जिला प्रभारी, आनन्द प्रकाश, आरपी गौतम जिला संयोजक, डॉ. अंंबेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता मंच, सुन्दर लाल भारती जिलाध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा, इं. संतलाल जिला कोषाध्यक्ष, प्रमोद कुमार बौद्ध प्रांतीय उपाध्यक्ष भारतीय दलित पैंथर समेत कई अन्य दलों के पदाधिकारी शामिल रहे। प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा को लेकर भारी पुलिस बल मौजूद रहा।

आर्थिक आधार पर नहीं हो सकता आरक्षण- तनुज पुनिया

प्रदर्शन के दौरान सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि आरक्षण कभी भी आर्थिक आधार पर नहीं हुआ। आरक्षण का आधार हमेशा से सामाजिक परिस्थितियां रहीं हैं। उसी के आधार पर बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी आरक्षण तय किया था। हम आर्थिक आधार पर क्रीमी लेयर बनाने और दलित समाज के बीच में अलग अलग वर्ग बनाने के विरोध में हैं।

आज बड़े-बड़े अफसर भी प्रमोशन में रिजर्वेशन मांग रहे हैं। क्योंकि उनका भी उत्पीड़न हो रहा है। उन्हें दबाया जा रहा है। इसी के विरोध में हम लोगों ने जुलूस निकाला। केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में दलित समाज का पक्ष मजबूती से रखना चाहिये था। जिससे कोर्ट से ऐसा कोई आदेश न आये। तनुज पुनिया ने कहा कि अब हम लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में अपील के साथ याचिका भी दाखिल करेंगे। हम लोग इस फैसले के खिलाफ लंबा आदोलन चलाएंगे।

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