रुद्रपुर: दुबई में आका से मुलाकात, गुरप्रीत बना गया साइबर ठग

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Published By Bhupesh Kanaujia
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मनोज आर्या, रुद्रपुर, अमृत विचार। ऑनलाइन ट्रेडिंग का झांसा देकर मनी ट्रेल का खेल गुरप्रीत सिंह ने भारत में नहीं, बल्कि दुबई में जाकर सीखी थी। जहां साइबर ठग के आका से उसका संपर्क हुआ और आरोपी ने भारत आकर ऑनलाइन ट्रेडिंग का खेल शुरू कर दिया। प्रारंभिक पड़ताल में पता चला कि चाइनीज ऐप के माध्यम से खाते में आई रकम को विदेशी खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था और उसकी एवज में कमीशन मिलती है।

एसएसपी एसटीएफ नवनीत कुमार ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि छतरपुर थाना पंतनगर निवासी गुरप्रीत सिंह नौकरी की तलाश में दुबई गया था। जहां उसकी मुलाकात दुबई में बैठे साइबर सरगना से हुई। वहीं से गुरप्रीत सिंह का संपर्क विदेशों में बैठे साइबर ठगों से होने लगी।

इसके बाद गुरप्रीत इंडिया वापस लौटा और भोजीपुरा बरेली यूपी निवासी प्रेम शंकर के साथ मिलकर ऑनलाइन ट्रेडिंग की आड़ में साइबर ठगी का खेल शुरू किया। जिसमें दोनों ही भूमिका यह रहती थी कि दुबई बैठे आका द्वारा दिए गए खाता नंबरों में पैसा डलवाना और शिकार को फंसाने के बाद उसका नया खाता संचालित करना होता था।

यही नहीं गुरप्रीत व प्रेम शंकर फेस बुक या फिर इंस्टाग्राम पर फर्जी ट्रेडिंग भी बनाने लगे। जो पहले शिकार को फंसाते और फिर खाते में मोटी रकम डलवा कर उसे चाइनीय ऐप के माध्यम मनी ट्रेल यानि कई खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। आखिरी में इसी ऐप के माध्यम से जब रकम विदेशी खाते में चली जाती थी, तो दोनों को दो फीसदी कमीशन मिलती थी। यह भी पता चला है कि खाता खुलवाने के दौरान भी दोनों ठग अपने शिकार से एक या दो लाख भी ऐंठ लेते थे। जिसकी पुष्टि आरोपियों के खातों में हुई 65 लाख के आदान-प्रदान से हुई।

साइबर अपराध का तरीका
 पकड़े गए साइबर ठग सोशल मीडिया में ट्रेडिंग कारोबार का एक विज्ञापन प्रकाशित करते थे। जब शिकार दिए गए लिंक पर क्लिक करता है तो व्हाटसअप कॉल पर कॉलर मुनाफे की जानकारी देता है। जब कोई भी व्यक्ति थोड़ी रकम डालता है तो उसे दोगुना करके वापस कर दी जाती थी। फिर कॉलर मोटी रकम लगाने और कम समय में ज्यादा मुनाफा का प्रलोभन देता था और जब लाखों की रकम खाते में आती है तो लिंक बंद कर पैसों को अन्य खातों में भुगतान कर दिया जाता है।


इंटरनेट बैंकिंग से अलर्ट मैसेज का प्रयोग
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि कई लोगों के नाम से फर्जी बैंक खाते खुले हैं। उन खातों का प्रयोग साइबर ठगी में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से एसएमएस अलर्ट नंबर, ईमेल आईडी का प्रयोग किया जाता है। जब आरोपियों के खातों की पड़ताल की तो पाया कि फर्जी खातों से करोड़ों रुपये का लेनदेन किया गया। जांच में पता चला है कि कई राज्यों में आरोपियों के खिलाफ दस से अधिक साइबर ठगी के मामले दर्ज हैं। 

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