बरेली:जुर्म करने वाले हाथ लिख रहे क-ख-ग...कभी पकड़ते थे हथियार अब उठाना सीखा कलम

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Published By Monis Khan
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93 बंदियों को एनजीओ की मदद से जेल प्रशासन कर रहा शिक्षित

बरेली,अमृत विचार। केन्द्रीय कारागार-दो बरेली की चारदीवारी के अंदर शिव नादर फाउंडेशन (एनजीओ) की मदद से  शिक्षा की अलख जगाई जा रही है। 93 बंदियों को साक्षरता की रोशनी से अपने जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए रोजाना दो घंटे की क्लास दी जा रही है। इसमें 14 महिला बंदी भी हैं।

बता दें कि जिन हाथों ने कभी पिस्टल और अन्य हथियार पकड़ कर जुर्म की दुनिया में कदम रखे थे। उन हाथों से जेल प्रशासन अब क.ख.ग लिखवा रहा है। उन हाथों से प्रश्नपत्र को हल करवाया जा रहा है। जो किसी न किसी अपराध की सजा काट रहे हैं। ऐसे बंदियों को फिर से समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन ने पहले इन्हें शिक्षित करने का प्रयास शुरू कर दिया है। अब ये बंदी अपनी साक्षरता की परीक्षा भी दे रहे हैं। इसके लिए वरिष्ठ जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा ने अनपढ़ बंदियों को साक्षर बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। बाद में उनकी इस पहल ने पाठशाला का रूप ले लिया। इसके लिए जेल प्रशासन से शिव नादर फाउंडेशन की टीम ने संपर्क किया। उसके बाद जेल प्रशासन की हरी झंडी मिलने के बाद उन्हें रोजाना 12 से 2 बजे तक का क्लास दिया जा रहा है।

कभी लगाते थे अंगूठा, अब पकड़ा कलम
इसके लिए जेल में बंद दो टीचरों समेत एक सरकारी टीचर को लगाया गया है। जेलर रतन कुमार ने बताया कि ऐसे कई बंदी हैं जिन्होंने कभी कलम भी नहीं पकड़ा था, हमेशा कागजात पर अंगूठा ही लगाते थे। लेकिन इस मुहिम में अब अपना नाम बखूबी लिखना सीख चुके हैं। जेल से छूटेंगे तो वह साइन करके बाहर निकलेंगे।

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