सोना खरीदने से पहले न करें ये बड़ी गलतियां, वरना आपके साथ हो जाएगा खेल
अनुपम सिंह, बरेली। धनतेरस और दिवाली पर सोने के आभूषण खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। सबसे पहले हॉलमार्क जरूर देखें और इसका ध्यान रखें कि कहीं आभूषण पर मेकिंग चार्ज तो अधिक नहीं लिया जा रहा है, क्योंकि कई सराफ मेकिंग चार्ज के नाम पर ग्राहक से अधिक रकम लेते हैं।
आमतौर पर लोग आभूषण खरीदते समय हॉलमार्क से सोने की गुणवत्ता पताकर खरीददारी करते हैं लेकिन मेकिंग चार्ज पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। मेकिंग चार्ज पर दुकानदार कैसे खेल करते हैं, इसकी अमृत विचार की टीम ने सराफा बाजार में पड़ताल की। कई सराफा कारोबारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किसी सराफ के मेकिंग चार्ज तय नहीं हैं। हर दुकानदार ने खुद ही अपने स्तर से चार्ज लेने के लिए नियम बना रखें हैं।
इस तरह से लगता है मेकिंग चार्ज
अलग-अलग कैरेट के सोने पर मेकिंग चार्ज प्रति ग्राम 520 रुपये से लेकर एक हजार या इससे भी ज्यादा तक लगाया जाता है। इसकी वजह से आभूषण पर मेकिंग चार्ज 10 से 12 हजार रुपये तक आ जाता है। उदाहरण के तौर पर शनिवार को 18 कैरेट प्रति तोला सोना 61 हजार में था, जिसमें एक तोले का आभूषण खरीदने पर ग्राहक को 68 से 69 हजार रुपये देने पड़ेंगे। अलग-अलग दुकानदारों के रेट भी अलग-अलग हो सकते हैं।
ये हाेता है मेकिंग चार्ज
आभूषण बनाने से पहले सोने को पिघलाया जाता है। इसके बाद अलग-अलग शेप के आभूषण तैयार किए जाते हैं और जो खर्च आता है, उसे मेकिंग चार्ज कहते हैं। इसमें कारीगर का मेहनताना, आभूषण की डिजाइन शामिल होती है।
24 कैरेट गोल्ड की डिमांड बढ़ी
सराफा कारोबारियों के अनुसार भाव लगातार बढ़ने की वजह से 24 कैरेट सोने की मांग बढ़ गई है। लोग इसे इन्वेस्ट करने की वजह से खरीद रहे हैं, क्योंकि 24 कैरेट का सोना जिस दिन बेचा जाता है, उसी दिन का भाव मिलता है और कोई कटौती नहीं की जाती है।
ऐसे समझें टंच और कैरेट को
आभूषण को खरीदते समय टंच और कैरेट का विशेष ध्यान देना चाहिए। सराफा कारोबारियों के अनुसार सोने की गुणवत्ता को टंच कहते हैं, जैसे 75 टंच का 18 कैरेट, 83 टंच का 20 कैरेट, 91.6 टंच का 22 कैरेट, 99.9 टंच का 24 कैरेट और 100 टंच का बिल्कुल खरा सोना होता है।
टैक्स देने से बचने के लिए नहीं बनवाते पक्का बिल
कुछ दुकानदारों के मुताबिक साेने की खरीदारी करने पर तीन प्रतिशत की जीएसटी देनी होती है। ऐसे में खरीदार टैक्स देने से बचने के लिए पक्का बिल नहीं लेते हैं और दुकानदार भी नंबर एक में बिक्री से बचने के लिए पक्का बिल नहीं देते हैं।
होलमार्क लगा सोना ही खरीदें
लोगों को हॉलमार्क लगा सोना ही खरीदना चाहिए। अब मशीनाें से जांच करके पता किया जा सकता है कि होलमार्क लगाने में खेल तो नहीं किया गया है। ग्राहक बीआईएस के अधिकारियों से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। साहूकारा और आलमगिरीगंज में होलमार्क के नौ सेंटर हैं, जिन्हें हॉलमार्क जांच ब्यूरो का लाइसेंस मिला हुआ है।
जिले में इन शहरों से आता है सोना
शहर में साहूकारा और आलमगीरीगंज में सोने का व्यापार होता है। यहां के व्यापारी गुजरात के राजकोट, मेरठ, दिल्ली, मथुरा आदि शहरों से सोना मंगवाते हैं। कई सराफ निर्मित आभूषण मंगाते हैं तो कई शहर में ही कारीगरों से सोना तैयार कराते हैं।
क्या कहते हैं कि ज्वैलर्स व्यापारी नेता
महानगर ज्वैलर्स एंड बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल मिंटू का कहना है कि साेना अलग-अलग जगहों से आने की वजह से अलग-अलग दुकानदार उसी के अनुसार मेकिंग चार्ज लगाकर बिक्री करते हैं। सोना महंगा तो हुआ है, लेकिन धनतेरस और दिवाली पर अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है।
अखिल भारतीय मराठी व्यापारी एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पाटिल ने बताया कि महंगा होने की वजह से लोग इन्वेस्ट करने के लिए 24 कैरेट का सोना खरीद रहे हैं। इसे कभी भी और कहीं भी बेचने पर 50 या 100 रुपये का ही अंतर आता है। सराफा व्यापारियों से अपील है कि पक्के बिल पर ही बिक्री करें।
सराफा व्यापारी गणेश सावंत ने कहा कि पूरी पारदर्शिता के साथ ही व्यापार किया जाता है। हॉलमार्क लगे आभूषण ही बेचे जाते हैं। बिना हॉलमार्क वाले आभूषण खरीदने पर उसकी गुणवत्ता की जानकारी नहीं हो पाती है।
सराफा व्यापारी तरुण अग्रवाल के अनुसार धनतेरस-दिवाली पर कितने करोड़ का कारोबार होगा, इसका सही आकलन करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन उम्मीद है कि व्यापार अच्छा होगा। हल्के आइटमों की मांग ज्यादा है।
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