Chhath Puja 2024: नहाय खाय के साथ शुरू होगी छठ पूजा, 5 से 8 नवंबर तक घाटों और नदियों के पास रहेगी रौनक

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। इसका समापन सप्तमी तिथि पर होता है। इस पर छठ महापर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक मनाया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला पर्व प्रकृति को समर्पित है। इसमें सूर्यदेव और छठ मैया की पूजा की जाती है। व्रती कमर तक जल में प्रवेश कर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।

छठ पर्व की शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान कर चावल,कद्दू और सरसों का साग खाकर शुरू करते हैं। दूसरे दिन 6 नवंबर खरना या लोहंडा किया जाएगा, जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाती हैं। पूरा परिवार इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है। तीसरे दिन जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। और चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जायेगा । छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है।

डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का कारण

स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि छठ पूजा में तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह समय प्रतीकात्मक रूप से जीवन के संघर्षों और कठिनाइयों को समाप्त करने और नवजीवन का आरंभ करने का संकेत देता है। डूबते सूर्य की पूजा करके व्यक्ति जीवन में आने वाले अंधकार को दूर करने और नई ऊर्जा के साथ अगली सुबह का स्वागत करने की शक्ति प्राप्त करता है।

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