प्रयागराज: ग्राम बरसाना देहात को नगर पंचायत बरसाना के संक्रमणकालीन क्षेत्र में शामिल करने की अधिसूचना रद्द

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Published By Vishal Singh
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 3 के उपधारा (2) के तहत राज्य सरकार लखनऊ द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करते हुए कहा कि कानून व्यापक, प्रभावी और अनिवार्य सूचना का आदेश देता है, जिससे अधिसूचना द्वारा शामिल किए गए क्षेत्र या क्षेत्र के भीतर रहने वाले लोगों को संविधान के अनुच्छेद 243-क्यू के तहत परिकल्पित उन क्षेत्रों के प्रस्तावित परिवर्तन के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिल सके।

इसके अलावा धारा 4 की उपधारा (2) अधिसूचना द्वारा शामिल किए जाने वाले क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को निर्धारित अवधि के भीतर अधिसूचना के संबंध में लिखित रूप से आपत्ति या सुझाव प्रस्तुत करने का लोकतांत्रिक अधिकार देती है।

वर्तमान मामले में अधिसूचना पर दाखिल आपत्तियों पर विचार न करना मनमाना है, इसलिए ग्राम बरसाना देहात, विकासखंड-नंदगांव, तहसील- गोवर्धन, मथुरा से संबंधित अधिसूचना दिनांक 13.10.2022 को रद्द कर दिया गया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने ग्राम पंचायत और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।

याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि अधिनियम 1916 की धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार याचियों ने निर्दिष्ट समय के भीतर विपक्षी के कार्यालय में अपनी आपत्ति दाखिल की थी, इसलिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसरण में पारित जिला पंचायत राज अधिकारी, मथुरा द्वारा 20.9.2022 का आदेश रद्द करने योग्य है, जिसमें ग्राम पंचायत बरसाना देहात को मथुरा के नगर पंचायत बरसाना के संक्रमण कालीन क्षेत्र में शामिल करने की सूचना दी गई है, जिससे व्यथित होकर वर्तमान याचिका दाखिल की गई। याची ग्राम पंचायत बरसाना देहात के प्रधान के रूप में वर्ष 2021-2026 की अवधि के लिए चुना गया है।

याची ने कोर्ट को बताया कि ग्राम पंचायत के 80% आबादी अत्यंत गरीब और बेरोजगार है और राज्य सरकार द्वारा चलाई गई मनरेगा, खादी ग्रामोद्योग जैसी योजनाओं का लाभ उठा रही है। इसके अलावा उक्त ग्राम पंचायत अपने विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। अतः इसे अन्य क्षेत्र में शामिल करना गैरकानूनी है और वर्तमान क्षेत्र के अस्तित्व को खतरे में डालने के समान है।

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