"बांग्लादेश के हालात सुन शर्म से झुक जाता है सिर", स्टूडेंट्स बोले- हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला करने वाले अराजक तत्व

मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार: लखनऊ विश्वविद्यालय के आचार्य नरेंद्र देव छात्रावास में रहने वाले एमजेएमसी द्वितीय वर्ष के छात्र अब्दुल्ला अल नोमान ने बताया कि रात में मां का फोन रोजाना आता है। वह मेरी सलामती के बारे में पूछती रहती है। साथ ही मुझे निर्देश देती है कि हॉस्टल से बाहर तभी निकलना जब बेहद जरूरी हो। किसी को बताना भी मत कि तुम बांग्लादेश के निवासी हो। यहां अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। मां को इस बात की चिंता है कि कहीं भारत में भी बदले की भावना से ऐसी उनके साथ ऐसी घटना न हो जाए। बांग्लादेश में हो रही इस तरह की घटनाओं को सुनकर हमारा सिर शर्म से झुक जा रहा है। हमें रोना आता है। लेकिन करें तो क्या? हम यहां पर छात्र हैं, वहां के लिए कुछ कर भी नहीं सकते। लखनऊ में डेढ़ साल से रह रहे अब्दुल्ला ने यह भी बताया कि कि उसका घर ढाका में है। मां से अपने हिंदू दोस्तों की सलामती के बारे में पूछता रहता हूं।

जब देश ही ठीक नहीं रहेगा तो नौकरी कहां करेंगे

बांग्लादेश के चंपई नवाबगंज जिले के आरिफ उर रहमान बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र हैं। उसने बताया कि मुझे भारत में आए हुए अभी तीन माह ही हुआ है। मेरे पिता शिक्षक हैं। घर पर टयूशन पढ़ने माइनॉरिटी के मेरे दोस्त भी आते हैं। हम बचपन से साथ-साथ पढ़े-लिखे और बड़े हुए हैं। पढ़ाई पूरी कर इंजीनियर बन जाआगे तो नौकरी कहां करोगे? इस पर बांग्लादेश के आरिफ कहते हैं कि नहीं सर, जब देश ही ठीक नहीं रहेगा तो नौकरी कहां करेंगे।

कभी भारत माता की बाहें ढाका का मलमल बुनती थीं

एक अन्य छात्र शुभांकर ढाका का निवासी है और कहता है कि इतिहास में मैने पढ़ा है कि भारत माता की बाहें ढाका में मलमल बुनती थीं। लेकिन, अब काफी कुछ बदलता दिखने लगा है। दोनों देशों के लोगों के बीच भाईचारे व सोहार्द का बढ़ना बेहद जरूरी। हम सभी को इसके लिए कुछ बेहतर करना ही होगा।

कुछ ही लोग कर रहे हिंदुओं पर हमला

गुंजन बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले के निवासी है। यहां पर पत्रकारिता विभाग में अध्ययनरत है। वह पूछता है कि आप तसलीमा नसरीन को जानते ही होंगे। मैं उन्हीं के शहर से हूं। मैं गारो जनजाति से हूं और मेरे घर वाले भी डर-डर कर जी रहे हैं। कुछ ही लोग हिंदूओं पर हमले कर रहे हैं। 'पीहू' भी बांग्लादेश की छात्रा है जो लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ती हैं, वह बात करने से इंकार कर देती हैं। फिर कहती हैं कि हमें डर लगता है कि आप छाप देंगे तो वहां बांग्लादेश में मेरा परिवार संकट में पड़ जाएगा। उसके यहां आज भी मलमल और कपड़े का व्यवसाय होता है। जबकि बांग्लादेश की 'नाजिफा तब्बसुम' कहती हैं कि बांग्लादेश तबाह हो रहा है। शेख हसीना जैसी नेता को बेइज्ज्त किया गया है, हिंदुओं पर हमले की जानकारी मिलती है। बहुत अफसोस होता है। देश मुटठी भर अराजक लोगों के हाथ में चला गया है।

विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में होने पर मैं खुश हूं

'तहरीम रुबाई' बताते हैं कि मैं विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में होने पर बहुत खुश हूं। शेख हसीना के 5 अगस्त को इस्तीफा देने और देश से भागने के बाद होने वाला जश्न हिंसा में बदल गया। यह 15 वर्षों के दमनकारी क्रोध और असंतोष की अभिव्यक्ति थी। अवामी लीग के इस्तीफे के बाद विपक्षी दल के कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैला दी। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब किसी देश की नौकरशाही और प्रशासनिक संरचना ध्वस्त हो जाती है। चिन्मय दास को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को लेकर गिरफ्तार किया गया है। कितना सही है यह कहना मुश्किल है। लखनऊ विश्वविद्यालय में फैलोशिप प्राप्त कर करीब दो दर्जन बांग्लादेशी छात्र अध्ययन कर रहे हैं। ये सभी छात्र-छात्राएं जो अलग-अलग जिलों और सम्प्रदाय से हैं देश के हालात से चिंतित हैं।

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