Bareilly: लेखपाल की हत्या में खुले कई राज! दो पत्नियों का खर्च, कार की टूटी किस्त...तो इसलिए किया था अपहरण

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार : लेखपाल मनीष चंद्र कश्यप के फोन में आखिरी कॉल उनके हत्यारोपी अवधेश उर्फ ओमवीर की ही मिली, एक यही तथ्य हासिल होने के बाद एसएसपी की बनाई टीम ने आसानी से केस खोल डाला। इससे यह भी साफ हो गया कि अगर लेखपाल की गुमशुदगी दर्ज कराए जाने के बाद फरीदपुर पुलिस ने उनकी कॉल डिटेल की ही जांच करा ली होती तो केस कई दिन पहले ही खुल गया होता। मनीष के शव की दुर्दशा भी न होती।

इस मामले में मुख्य आरोपी अवधेश और उसके सहयोगी नन्हे की गिरफ्तारी के बाद एसएसपी अनुराग आर्य ने सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में लेखपाल के अपहरण से लेकर हत्या तक का घटनाक्रम मीडिया के सामने रखा। उन्होंने बताया कि पुलिस ने विवेचना शुरू करने के बाद सीसीटीवी कैमरे चेक करने शुरू किए तो एक कैमरे की फुटेज में लेखपाल मनीष 27 नवंबर की दोपहर 3.10 बजे तहसील से निकलते दिखे। इसके बाद अवधेश उर्फ ओमवीर ने 3.45 बजे उन्हें फोन कर फरीदपुर रेलवे क्रॉसिंग पर बुलाया। वहां शराब पिलाने के बाद अवधेश उन्हें अपनी कार से सिसैया रोड पर ले जाता दिखाई दिया। लेखपाल के फोन में अंतिम कॉल अवधेश की ही थी क्योंकि मनीष को नशा होने के बाद उसने उनका मोबाइल बंद कर दिया था।

एसएसपी ने बताया कि अवधेश ने बभिया निवासी अपने रिश्तेदार सूरज के साथ लेखपाल का अपहरण कर फिरौती वसूलने की योजना बनाई थी। बाद में इस योजना में चुनारवदिया निवासी उसका ममिया ससुर नेत्रपाल और फतेहगंजपूर्वी के गांव नगरिया का मामा का साढ़ू नन्हे भी शामिल हो गए। सूरज ने ही शराब के चार पव्वे खरीदे थे। शराब पिलाने के बाद दोनों उन्हें नेत्रपाल के पास चुनारवदिया में सरदार जी के फार्म हाउस पर ले गया और उससे कुछ दिन लेखपाल को बंधक बनाकर रखने को कहा लेकिन नेत्रपाल ने डरकर इन्कार कर दिया। इसके बाद उसने नन्हे को फोन किया तो उसने कहा कि अब लेखपाल को जिंदा छोड़ना खतरे से खाली नहीं है।

मनीष नशे की वजह से बेहोशी जैसी हालत में कार की पिछली सीट पर बैठा था। सूरज ने अपने मफलर से उसका गला घोंट दिया। इसके बाद वे लोग उनका शव पहले बदायूं रोड पर ले गए लेकिन वहां उसे फेंकने का मौका नहीं मिला तो कैंट क्षेत्र के मिर्जापुर गांव की तरफ आए और तालाब के किनारे शव फेंक दिया। इससे पहले उनकी जेब में रखे कुछ दस्तावेज और मोबाइल निकाल लिया।

सप्ताह भर तक थाने के चक्कर काटते रहे थे परिजन
लेखपाल मनीष के 27 नवंबर को लापता होने के अगले दिन पत्नी जमुना देवी ने थाना फरीदपुर में गुमशुदगी दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने इस पर कुछ नहीं किया। परिजनों ने एसएसपी से शिकायत की तो मनीष की मां की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली लेकिन उन्हें तलाश करने के लिए फिर भी कोई कोशिश नहीं की। परिजनों का आरोप है कि उन लोगों ने एसडीएम और तहसीलदार से भी शिकायत की लेकिन किसी ने कोई दिलचस्पी नहीं ली।

नहीं उठा पा रहा था दो पत्नियों का खर्च इसलिए किया अपहरण
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश किए गए अवधेश ने बताया कि उसकी दो पत्नियां हैं। एक गांव में रहती है और दूसरी नोएडा में। वह उनका खर्च नहीं उठा पा रहा था। कार की भी तीन किस्तें बकाया हो चुकी थीं। मई 2024 में उस पर जानलेवा हमले की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। जमानत कराने में 45 हजार रुपये खर्च हो गए थे। पैसों की तंगी की वजह से ही उसने अपने रिश्तेदारों के साथ लेखपाल के अपहरण की योजना बनाई। एसएसपी ने बताया कि अवधेश का खाता चेक करने पर उसमें जीरो बैलेंस निकला। वह लोगों से सौ या दो सौ रुपये उधार लेकर खर्च चला रहा था और एक-एक रुपये के लिए परेशान था। पुलिस अब नेत्रपाल और सूरज की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है।

फिरौती लेने की योजना भी कर ली थी तैयार
अवधेश ने बताया कि लेखपाल के परिजन जब खल्लपुर के प्रधान का नाम ले रहे थे, तब उसने सोचा था कि वह नहीं फंसेगा। उसकी योजना थी कि जब मामला ठंडा पड़ेगा तो वह लेखपाल के फोन से ही कॉल कर चार लाख की फिरौती मांगेगा। उसने सोचा था कि लेखपाल के परिजनों को वह फोन कर मुरादाबाद, शाहजहांपुर या बदायूं जाने वाली किसी ट्रेन पर उन्हें बैठने के लिए कहेंगे। उनसे कहेंगे कि जहां वे लोग टॉर्च की रोशनी से सिग्नल दें, वे वहीं पैसों भरा बैग फेंक दें।

जिन्न से पूछ लो, लेखपाल का मोबाइल रिचार्ज कराऊं या नहीं
अवधेश ने बताया कि उसके रिश्ते का मामा नन्हे झाड़फूंक करता है। फिरौती मांगने के लिए वह लेखपाल का मोबाइल रिचार्ज कराना चाहता था लेकिन नन्हे से उससे कहा कि वह जिन्न से पूछकर बताएगा। दूसरे दिन सुबह ने नन्हे को फोन कर पूछा कि जिन्न ने क्या बताया। नन्हे ने कहा कि जिन्न ने कहा है कि अभी कोई ऐसी हरकत मत करो कि फंस जाओ। अगर फंस गए तो कोई नहीं बचा पाएगा। इस बीच वे लोग रात के अंधेरे में चार बार तालाब किनारे फेंके गए शव को भी देखने गए थे।

अवधेश- हां बेटा, बात हुई कुछ उसमें या नहीं।
नन्हे- उसने उसी टाइम मना कर दी थी। इस टाइम कुछ नहीं बताएंगे शाम को बताएंगे।
अवधेश- अच्छा
नन्हे- दोपहर को कोई नहीं मिलेगा।
अवधेश- अच्छा...
नन्हे- हां..
अवधेश- तो रिचार्ज कराना बेकार है।
नन्हे- रिचार्ज मत करवाओ, मर जाओगे।
अवधेश- अच्छा...
नन्हे- अभी बचे हुए तब भी हो।
अवधेश- ये बात तुम्हारी मानेंगे खैर।
नन्हे- पैसा आए-जाए देख लेंगे, सेफ तो बचे हैं।
अवधेश - हां...
नन्हे- देखेंगे, ऐसा मत करना पैसा मत डलवा देना, मोबाइल में।
अवधेश- इसी के मारे तुमसे पूछ ली है। ऐसे क्यों कुछ करेंगे।
नन्हे- हां मेरे लाल, दिमाग से काम लेना, कहीं हिलक गए तो कोई बचाने वाला नहीं होगा।
अवधेश- न कोई नहीं बचाएगा।
नन्हे- इसके बाद आगे कुछ और देखना है, थोड़ी तसल्ली करो।
अवधेश- अच्छा ये बात मानेंगे।
नन्हे- वो बच जाएंगे, तुम पर धर जाएगा सारा खेल।
अवधेश- अभी तो वे चार फंसे ही हुए हैं।
नन्हे- उन्हें फंसे रहने दो, सब्र करो। कोई मंजिल ढूंढते हैं कल तक। ठीक है शाम को रातमें पहुंचेंगे।
अवधेश- ठीक है।
नन्हे- मेरी बात का पालन करो, हमसे पूछते हो इसलिए समझाते हैं।
अवधेश- नहीं बात सही है, एक बार मन करा कहीं से रिचार्ज करवा लें।
नन्हे- कैसे सही जवाब देंगे, ऐसा नहीं है धोखा नहीं होना चाहिए।
अवधेश- ये बात तो सही कह रहे हो।
नन्हे- कहीं लड़का होगा, औरतें होंगी कहीं कोई होगा, दुनिया घर परिवार नब होगा सारा खेल बिगड़ जाएगा। तुम्हारा हम सबका।
अवधेश - बहुत ज्यादा नुकसान हो जाएगा फिर तो।
नन्हे- हां, गुम बैठो अभी।
अवधेश- जमानत तो न अटक रही होगी।
नन्हे- न,न कोई नहीं कराएगा।
अवधेश- हां
नन्हे- ठीक से गुम बैठो, हम तुम्हें बताएंगे।
अवधेश- चलो बताना फिर हमें।
नन्हे- हां...
अवधेश- आठ-नौ बजे करेंगे फोन।
नन्हे- हां, सुबह करना।
अवधेश- ठीक है, सुबह करेंगे लेकिन ध्यान से पूछ जरूर लेना।

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