प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन से इस साल मौनी अमावस्या का बढ़ा महत्व: मौन रखते हुए गंगा स्नान करने की है परंपरा
कानपुर, अमृत विचार। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से माघ अमावस्या का विशेष महत्व है। इस वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 29 जनवरी 2025 को पड़ रही है। प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन से इस साल मौनी अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है।
ज्योतिषाचार्य पंं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या पर मौन रहते हुए गंगा, यमुना समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ फलदायी होता है। इस दिन कई सारे धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जिन्हें बेहद कल्याणकारी माना गया है।
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(ज्योतिषाचार्य पंं. मनोज कुमार द्विवेदी)
मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 07 बजकर 36 मिनट से शुरू हो जाएगी और 29 जनवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी।
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन मौन रखते हुए गंगा स्नान करने की परंपरा है। हिंदू धर्म में मौन रखने का विशेष महत्व होता है। वेदों और उपनिषदों में मौन को ब्रह्मचर्य, सत्य और संयम के साथ जोड़कर देखा गया है।
वैदिक काल में ऋषि-मुनि मौन को तपस्या का एक अनिवार्य अंग मानते थे। उनका विश्वास था कि मौन रहने से मन स्थिर होता है और विचारों की उथल-पुथल शांत हो जाती है। मौन के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है। इसके अलावा, मौन वाणी से होने वाले पापों, झूठ, और विवादों से बचने का मार्ग भी है।
इस वर्ष मौनी अमावस्या पर बहुत ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस बार मकर राशि में एक साथ सूर्य, बुध और चंद्रमा की युति होगी जिससे त्रिवेणी योग का निर्माण होगा। इस योग में गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है।
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