World Cancer Day : डॉ. तबस्सुम ने डर से जीत कर दी कैंसर को मात
रामपुर के राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जूलॉजी विभाग में हैं एसोसिएट प्रोफेसर, बरेली निवासी डॉ. तबस्सुम को 2021 में पता चला कैंसर, 2023 में प्राणघातक बीमारी से जीती जंग

डॉ. बेबी तबस्सुम।
सुहेल जैदी, अमृत विचार। विश्व में कैंसर तेजी से फैल रहा है, लेकिन हिम्मत और परिवार के सहयोग की ताकत के साथ चिकित्सकों का मार्गदर्शन कैंसर से जंग में जीत दिला सकता है। राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जूलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बेबी तबस्सुम ने डर से जीत कर दो साल में ही कैंसर को मात दे दी।
जनपद बरेली के मोहल्ला आजम नगर में जन्मी डॉ. बेबी तबस्सुम वर्ष 2009 से राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में एसोएसिएट प्रोफेसर हैं। उनकी दो बेटियां हैं और परिवार हंसी-खुशी रह रहा था। वर्ष 2021 में उन्हें सीने में कुछ दर्द महसूस हुआ। इसके बाद उन्होंने बरेली के एक निजी अस्पताल में जांच कराई। कलर डॉपलर में पता चला कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद वह इलाज के लिए मुंबई चली गईं। वहां के प्रसिद्ध अस्पताल में बायोप्सी कराई और कैंसर का इलाज शुरू हो गया।
उन्होंने वर्ष 2023 में कैंसर को मात दे दी। डॉ. तबस्सुम बताती हैं कि इलाज के दौरान उन्होंने खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर दी थी। रोटी-चावल, कच्चे फल, कच्ची सब्जियां आदि नहीं खाईं। प्रोटीन का इस्तेमाल बढ़ा दिया और लिक्विड डाइट को फॉलो किया। आज वह बिल्कुल फिट हैं। बताती है कि उन्होंने इलाज के बाद रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बदलाव किए हैं, जैसे कि ताजा खाना खाती हैं और सुबह तथा शाम को चहलकदमी करती हैं।
कैंसर के मरीजों के लिए संजीवनी बनेंगे डे केयर सेंटर
डॉ. बेबी तबस्सुम बताती हैं कि डे केयर सेंटर में कैंसर के मरीज को रखकर कीमो थेरेपी की दवाएं और इंजेक्शन दिए जाते हैं। अस्पताल में मरीज को पूरे दिन डॉक्टर की देख-रेख में रखा जाता है। इसके लिए मरीज को डे केयर सेंटर पर रुकने के लिए 35 से 72000 रुपये भुगतान करना पड़ता है। केंद्र सरकार ने 2025-26 के बजट में जिला अस्पतालों में डे केयर सेंटर खोलने के लिए धनराशि की व्यवस्था की है। डॉ. तबस्सुम के अनुसार इस योजना से गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों पर मरीजों का दबाव कम होगा। वह बताती हैं कि कैंसर की दवाएं वही रहती हैं, सरकारी अस्पतालों में डे केयर सेंटर खुलवाया जाना कैंसर के मरीजों के लिए संजीवनी है।
यह भी जानें
- वर्ष 2020 में भारत में 14 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले हुए दर्ज।
वर्ष 2023 में भारत में 3.4 लाख से अधिक महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर के मामले सामने आए।
भारत में प्रमुखता से मिल रहे स्तन कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, आंतों के कैंसर के मरीज।
स्रोत : एनसीडी कंट्रोल प्रोग्राम
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