कानपुर में फर्जी दस्तावेज से भूमि क्रय-विक्रय का आरोप: कानूनगो निलंबित, आरोपों की जांच को कमेटी गठित...

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। तहसील सदर के राजस्व निरीक्षक आलोक दुबे पर फर्जी दस्तावेज तैयार करने और अनियमित तरह से भूमि क्रय-विक्रय का आरोप है। जिलाधिकारी के आदेश पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। 

शिकायतकर्ता संदीप सिंह ने मामले में बीते दिसंबर 2024 को शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि सिंहपुर कठार की गाटा संख्या 207 में राजपति और राजकुमारी का नाम दर्ज नहीं था, फिर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैनामा करा दिया गया। रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 और अन्य गाटों पर मोहनलाला की वसीयत का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है। 

शिकायतकर्ता ने नायब तहसीलदार सचेंडी के न्यायालय में नामांतरण वाद दाखिल किया है। शिकायत के बाद जांच में पाया गया कि राजस्व निरीक्षक आलोक दुबे ने अपने और परिवार के नाम भूमि क्रय-विक्रय के लिए विभागाध्यक्ष से अनुमति नहीं ली। अब मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। उन्हें निलंबित कर दिया गया है।

फर्जी कागजात से वक्फ संपत्ति हड़पने का आरोप  

बार एसोसिएशन कानपुर देहात के पूर्व संयुक्त सचिव सौरभ भदौरिया ने जनसुनवाई में शिकायत की कि मृत व्यक्तियों की पॉवर ऑफ अटार्नी से वक्फ संपत्तियों में धोखाधड़ी की जा रही है।

जिलाधिकारी कानपुर नगर को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया है कि वक्फ बोर्ड की भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित करके खरीद फरोख्त पर लगाई गई रोक के बावजूद कुछ लोगों ने धोखाधड़ी करके जमीनों पर कब्जा किया है। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने मामले की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम गठित की है।

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