Prayagraj News :एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में देरी करने पर डीएम को लगाई फटकार
Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में देरी करने पर संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारियों को लोगों की सेवा करने के अपने प्राथमिक कर्तव्य को पूरा करना आवश्यक है। विशेष रूप से हिंसा के गंभीर कृत्यों के कारण अक्षम हुए लोगों की सहायता करने में राज्य अधिकारियों को और अधिक तत्परता तथा सहानुभूति दिखानी चाहिए।
कोर्ट ने राज्य सरकार को सभी जिलाधिकारियों के लिए एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस प्रकार के पीड़ितों को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। उक्त आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने रजनीता की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया। कोर्ट ने जिलाधिकारी, मेरठ को एक सप्ताह के भीतर सभी संबंधित दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजने का आदेश दिया, जिससे संबंधित विभाग तीव्र गति से कार्यवाही कर सके और 6 सप्ताह के भीतर पीड़िता को अतिरिक्त मुआवजा दे सके।
मालूम हो कि अवर सचिव, केंद्रीय गृह मंत्रालय, महिला सुरक्षा प्रभाग, नई दिल्ली ने सितंबर 2024 में संबंधित जिलाधिकारी को याची और एक अन्य एसिड अटैक पीड़िता के संबंध में विशिष्ट विवरण उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन अधिकारी ने अपनी ओर से कोई जवाब नहीं भेजा। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने डीएम को यह निर्देश दिया कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र का एक सप्ताह के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करें। कोर्ट ने डीएम के उदासीन व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि एसिड अटैक की घटना वर्ष 2013 में हुई थी और याची को कुछ मुआवजा मिला था। रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि याची की आवश्यक सर्जरी और चिकित्सा की लागत याची को दिए गए मुआवजे से कहीं अधिक है। अतः संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला अतिरिक्त मुआवजा याची को शीघ्र से शीघ्र प्राप्त हो।
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