गंगा के किनारे बनी टिकैतराय बारादरी Kanpur में पर्यटकों को बुलाएगी, हवेली होटल के रूप में होगी विकसित, जल्द शुरू होगा काम
कानपुर, अमृत विचार। गंगा किनारे टिकैतराय बारादरी को हैरिटेज हवेली बनाने के लिए दो आर्किटेक्ट डिजाइन तैयार करेंगे। होटलनुमा नक्शा तैयार के दौरान उसमें पर्यटकों के ठहरने की हर सुविधा का विशेष ख्याल रखा जाएगा। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति और आस्था से संबंधित जुड़ाव को प्रदर्शित करती हुई कलाकृतियों को भी शामिल किया जा सकता है। पर्यटन विभाग को एक आर्किटेक्ट मिल गया है, दूसरे आर्किटेक्ट के मिलने के बाद अप्रैल तक इस पर काम शुरू किया जा सकता है।
बिठूर में गंगा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित टिकैतराय बारादरी हिंदू तीर्थयात्रा और बिठूर 1857 स्वतंत्रता संग्राम का भी केंद्र है। स्वतंत्रता सेनानी नाना साहब यहीं रहते थे। इस धरोहर को पर्यटक के रूप में और खूबसूरत और राजस्व लाभ के रूप में तैयार किया जाना है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने पूर्व में प्रस्ताव शासन को भेजा था। इस पर मंथन के बाद निरीक्षण पर्यटन निदेशालय ने इसका निरीक्षण किया था। खूबसूरत हवेली तैयार होने के बाद कानपुर भी राजस्थान, पंश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश की तरह ही हैरिटेज हवेली वाला शहर बन जाएगा।
पर्यटन के क्षेत्र में इसका नया आकर्षण होगा। पर्यटन विभाग आर्किटेक्ट नियुक्त करेगा जो डिजाइन बनाएगा और फिर शासन को डिजाइन के साथ प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया जाएगा। इसके लिए निवेशक भी खोजे जाएंगे। बजट आने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अर्जिता ओझा ने बताया कि हवेली होटल के रूप में विकसित करने का कार्य प्रक्रियाधीन है। प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है।
टिकैतराय का बनाया शिव मंदिर है आकर्षण का केंद्र
अवध के नवाब गाजीउद्दीन हैदर के मंत्री रहे राजा टिकैतराय ने 18वीं सदी में शिव मंदिर का निर्माण कराया था। यह शिव मंदिर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां जिले के बाहर से भी कई श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से हुआ था।
एक हिस्सा पूरी तरह खत्म होने की कगार पर
शिव मंदिर के पास ही 0.217 एकड़ भूमि में बारादरी का निर्माण कराया गया था। बताया जाता है कि इसका निर्माण 19वीं सदी में हुआ था। दो हिस्सों में हुए निर्माण में एक हिस्सा अब नष्ट होने की कगार पर है। पहले यहां आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए यहीं रुकते थे। एक हिस्से में पुरुष तो दूसरे हिस्से में महिलाएं रहती थीं।
