बदायूं : अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन, एमेंडमेंट बिल निरस्त करने की मांग
कलेक्ट्रेट तिराहे पर प्रदर्शन करने के बाद सौंपा एडीएम वित्त एवं राजस्व को सौंपा राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन
बदायूं, अमृत विचार। एडवोकेट्स एमेंडमेंट बिल 2025 को लेकर अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट तिराहे पर विरोध प्रदर्शन किया। मौके पर पहुंचे एडीएम वित्त एवं राजस्व डॉ. वैभव शर्मा को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा। जिसमें एमेंडमेंट बिल के संशोधन को निरस्त करने की मांग की। कहा कि अगर यह निरस्त नहीं होता है तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन गुप्ता ने अधिवक्ताओं को मांग के बारे में बताया। कहा कि अधिवक्ता और उनके परिवार के लिए अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट का प्रावधान किया जाना चाहिए। परिषदों में निर्वाचित सदस्यों के अलावा कोई समाहित न किया जाए और उनके लोकतांत्रिक स्वरूप को यथावत रखें। प्रदेश के अधिवक्ताओं का 10 लाख का मेडिक्लेम और किसी अधिवक्ता की मौत हो जाने पर 10 लाख की बीमा राशि मिले। पंजीकरण के समय हर अधिवक्ता से लिए जा रहे 500 रुपये के स्टांप की राशि प्रादेशिक परिषदों को वापस हो। राज्य सरकार द्वारा विधिक स्टांप की बिक्री से प्राप्त धनराशि का दो प्रतिशत अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाए। केरल सरकार ऐसा कर भी रही है।
महासचिव अरविंद परमार ने कहा कि नियम बनाने के अधिकार पूर्व में जो एडवोकेट्स एक्ट में प्राविधानित था, उसे इसी प्रकार रखें। केंद्र सरकार द्वारा रेगुलेशन बनाने की बात कही जा रही है उसे समाप्त किया जाए। कहा कि अधिवक्ता एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2025 के पूरे संशोधन को निरस्त करते हैं। कहा कि इस अमेंडमेंट बिल को वापस लिया जाए वर्ना अधिवक्ता पूरे देश में यह लड़ाई लड़ने के लिए रणनीति बनाने को बाध्य होंगे।
काली पट्टी बांधकर अधिवक्ताओं ने किया विरोध
दातागंज तहसील बार वेलफेयर एसोसिएशन ने बैठक की। काली पट्टी बांधकर संशोधित बिल का विरोध किया। तहसील अध्यक्ष दिनेश बाबू सक्सेना ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम 1961 संशोधन कर नया कानून लाने की तैयारी में है। अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 तैयार किया गया है। जिससे अधिवक्ताओं के हितों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। अधिवक्ताओं के सावैधनिक अधिकार अनच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता व अच्छेदश जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करता है। बार के सचिव दिनेश कठेरिया, राजेंद्र कुमार, अजय कुमार गुप्ता, बब्लू सिंह, जाने आलम, त्रिवेंद्र सिंह, सुखपाल सिंह, पीयूष मौर्या, अतुल चौहान, आमीन अंसारी, अभिषेक यादब, बिजेंद्र सिंह, सुखवीर यादव आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।
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