संपादकीय: परेशानी बढ़ाने वाली योजना

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के प्रयोग करते रहते हैं। टारगेटेड क्षेत्रों में निवेश के लिए ट्रंप ने पहले कई तरीकों से धन जुटाने की कोशिश की थी। परंतु विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए कार्यक्रम पर पिछले कई वर्षों से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान इस कार्यक्रम को यूएस संसद में आलोचना का सामना करना पड़ा था। उस समय कई लोगों ने चेतावनी दी थी कि यह कार्यक्रम अपने लक्ष्य से भटक गया है और इसमें सुधार की जरूरत है। अब ट्रंप ने गोल्ड कार्ड प्लान का एलान किया है। गोल्ड कार्ड योजना के माध्यम से 50 लाख डॉलर की फीस देकर अप्रवासी अमेरिका में रहने का परमिट हासिल कर सकते हैं। यह प्लान मौजूदा ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा।
ईबी-5 विदेशी निवेशकों को अमेरिकी प्रोजेक्ट में पैसा लगाने और फिर अमेरिका में आप्रवासन के लिए वीजा के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा वेबसाइट के अनुसार 1992 में कांग्रेस द्वारा बनाया गया ईबी-5 कार्यक्रम उन अप्रवासियों को ग्रीन कार्ड प्रदान कर सकता है जो लक्षित रोजगार क्षेत्र कहे जाने वाले आर्थिक रूप से संकटग्रस्त क्षेत्रों में निवेश करते हैं, ताकि अमेरिकी श्रमिकों के लिए नौकरियां पैदा की जा सकें। ऐसे में जबकि ट्रंप गोल्ड कार्ड को एक आकर्षक विकल्प के रूप में देखते हैं। आव्रजन विशेषज्ञों का तर्क है कि कानून निर्माताओं को इस तरह के बदलाव को अधिकृत करने की आवश्यकता होगी।
अब ईबी-5 के स्थान पर गोल्ड कार्ड वीजा प्लान की फीस पांच गुना बढ़ाकर 50 लाख डॉलर तय की गई है। गोल्ड कार्ड वीजा के लिए पहले से ही पूरा नकद भुगतान करना पड़ेगा-जिससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाएगा। निश्चित रूप से यह अमेरिकी निवास पाने का एक तेज और सरल मार्ग है। परंतु इसमें नौकरियां पैदा करने की जरूरत को खत्म कर दिया गया है।
मतलब साफ है कि केवल भारत के सुपर-रिच और बिजनेस टाइकून ही अमेरिकी नागरिकता के लिए इतना खर्च उठा सकते हैं। इससे उन कुशल पेशेवरों की परेशानी बढ़ेगी जो पहले से ही ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे हैं, कुछ मामलों में दशकों से। कहा जा रहा है कि अमेरिका में बसने के लिए ट्रंप का गोल्ड कार्ड ऑफर भारतीयों के लिए परेशानी बढ़ाने वाली योजना है।