होलिका दहन पूजा विधि : कैसे करें होलिका दहन की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और विधि 

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Published By Anjali Singh
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अमृत विचार | होलिका दहन के पहले डंडी देवी का पूजन किया जाता है। गुलाल, अबीर, फूल, नारियल, मिष्ठान, कच्चा सूत से होलिका का पूजन किया जाता है। होलिका पूजन के उपरान्त होलिका दहन किया जाता है। नए अनाज की बलियां और गोबर के उपले होली में चढ़ाए जाते हैं और होलिका दहन के बाद उसमें भूना गन्ना खाया जाता है। होलिका दहन के समय गेहूं और जौ की बालियां सेकी जाती हैं और उनके ‘होले’ प्रसाद के रूप में खाए जाते हैं। दहन की लकड़ी के टुकड़े को कुछ लोग घर पर भी ले जाते है। होलिका दहन के बाद उसकी राख का तिलक करना और शरीर पर लगाना भी शुभ माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि वर्ष भर स्वस्थ रहने के लिए शरीर पर पीली सरसों को पीसकर सरसों के तेल से उबटन बनाकर पूरे शरीर में लगाकर उस उबटन को उतारकर गाय के गोबर के साथ होलिका में दहन करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।

होलिका दहन के समय किये जाने वाले कुछ उपाय-

1. स्वास्थ्य लाभ के लिए होलिका दहन में काले तिल, हरी इलायची और कपूर को सिर से उतार कर होली के अग्नि में डालने से जल्द स्वास्थ्य लाभ होगा।

2. धन लाभ के लिये चंदन की लकड़ी होली की अग्नि में डाले और धन के लिये प्रार्थना करें।

3. नौकरी, व्यापार के लिए एक मुठ्ठी पीली सरसों अग्नि में डालें और तीन बार परिक्रमा कर प्रार्थना करें।

4. विवाह के लिए हवन सामग्री और घी होलिका दहन में डाले।

5. नजर और नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए काली सरसों सिर से 7 बार उतारकर अग्नि में डालें।

 

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