डॉक्टरों की लापरवाही: सर्जरी के बाद महिला के पेट में 17 साल तक पड़ी रही कैंची!
कोआपरेटिव सोसाइटीज एवं पंचायत लेखा परीक्षा में उप निदेशक पति करेंगे कानूनी कार्रवाई
लखनऊ, अमृत विचार। संध्या पाण्डेय 17 साल तक पेट में कैंची के साथ जीती रहीं। यह कैंची 26 फरवरी, 2008 को पुत्र पैदा होने पर हुए आपरेशन के समय पेट में छूट गई थी। बेटा यथार्थ अब हाईस्कूल में पहुंच गया है, जब उसकी मां के पेट का दोबारा आपरेशन कर कैंची निकाली गई है। संध्या ट्रामा सेंटर में भर्ती हैं।
कोआपरेटिव सोसाइटीज एवं पंचायत लेखा परीक्षा में उप निदेशक अरविंद कुमार पाण्डेय इंदिरानगर में रहते हैं। उनके परिवार में दो बेटियां थीं, लेकिन बेटा नहीं था। वर्ष 2008 में पत्नी गर्भवती हुईं तो इस बार बेटा होने की पूरी उम्मीद थी। उन्हें इंदिरानगर के शी मेडिकल केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। 26 फरवरी, 2008 को डॉ. पुष्पा जायसवाल ने उनका आपरेशन किया। उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
परिवार में सभी बहुत खुश थे। कुछ वर्ष के बाद संध्या के पेट में दर्द सा रहने लगा। कई जगह दिखाया। कई बार अल्ट्रासाउंड भी कराया, लेकिन कुछ नहीं निकला। पिछले कुछ महीनों से उन्हें पीठ में भी दर्द होने लगा और वह पालथी मारकर भी नहीं बैठ पाती थीं। कुछ चिकित्सकों ने एमआरआई की सलाह दी। लेकिन एमआरआई मशीन ने उन्हें लिया ही नहीं। उन्हें बताया गया कि शरीर में कुछ मेटल सरीखा है।
इस जानकारी के बाद उनके पेट का सीटी स्कैन कराने का फैसला किया गया। उनके पेट के कई एक्सरे हुए, एक्सरे में कैंची साफ़ नजर आई। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रो. समीर मिश्रा ने उन्हें ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। 26 मार्च को दो घंटे तक चले आपरेशन के बाद कैंची निकाली गई। संध्या पाण्डेय ट्रामा सेंटर में भर्ती हैं।
अरविंद पाण्डेय ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने लीगल एडवाइजर से बात की है। पत्नी के डिस्चार्ज होने के बाद वह कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे। उनका कहना है कि अभी मेरे परिवार पर तीन बच्चों को पालने की जिम्मेदारी है। संध्या को कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदारी लेता? फिलहाल पत्नी की देखरेख में लगा हूं।
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