रुपये में व्यापार की सुविधा देने वाले बैंकों की सूची सार्वजनिक करे रिजर्व बैंक, फियो ने की मांग
नई दिल्ली। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से रुपये में व्यापार निपटान प्रणाली (एसआरवीए) की पेशकश करने वाले बैंकों के बारे में जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा करने का आग्रह किया है। निर्यातकों के संगठन का कहना है कि जागरूकता की कमी की वजह से इसका अभी सीमित उपयोग हो रहा है।
फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यह प्रणाली व्यापार को सरल बनाती है और विदेशी मुद्रा बचाती है, लेकिन कई निर्यातकों को यह नहीं पता है कि इसका उपयोग कहां से किया जाए। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2023 में देश में काम करने वाले बैंकों को स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत निर्दिष्ट देशों के साझेदार बैंकों के विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते (एसआरवीए) खोलने की अनुमति दी थी।
इससे निर्यातकों और आयातकों को अपनी-अपनी घरेलू मुद्रा में चालान और भुगतान करने में मदद मिलती है, जिससे द्विपक्षीय विदेशी विनिमय बाजार का विकास संभव हो पाता है। रल्हन ने कहा कि इस प्रणाली से कुछ देशों के साथ डॉलर या यूरो के बजाय रुपये में व्यापार करना आसान हो जाता है, लेकिन कई निर्यातकों को यह भी नहीं पता कि कौन से बैंक यह सेवा प्रदान करते हैं, क्योंकि यह जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक को इसे सार्वजनिक करना चाहिए।
बेहतर जागरूकता का मतलब है इस अच्छी पहल का बेहतर उपयोग। पिछले सप्ताह मुंबई में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के साथ अपनी बैठक के दौरान उन्होंने अन्य लोगों के साथ इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे उदाहरण हैं जहां बैंकों ने निर्यातकों के लिए ऋण स्वीकृत किए हैं, लेकिन उनमें से केवल 35-40 प्रतिशत का ही वास्तव में इस्तेमाल हो पाता है।
लुधियाना के निर्यातक ने कहा, ‘‘अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन कोष तक पहुंचने की प्रक्रिया जटिल, धीमी या अस्पष्ट होती है। यह ऐसा है जैसे आपको बताया जा रहा हो कि आप कर्ज ले सकते हैं, लेकिन फिर आपको इतनी सारी बाधाओं से गुजरना पड़ता है कि आप हार मान लेते हैं। हमें इसे ठीक करने की आवश्यकता है ताकि निर्यातक वास्तव में उस धन का उपयोग कर सकें जो उनके लिए स्वीकृत किया गया है।’’
ऊंची ब्याज दरों पर उन्होंने कहा कि भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम निर्यातकों को अन्य देशों के व्यवसायों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अभी वे नुकसान में हैं क्योंकि उनके लिए उधार लेना (ऋण) बहुत महंगा है। ऋण लागत अधिक महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि खरीदारों ने नकदी की चुनौतियों का सामना करते हुए भुगतान अवधि बढ़ा दी है।’’ उन्होंने कहा कि कई देश अपने निर्यातकों को सस्ता कर्ज या सब्सिडी देकर मदद करते हैं।
