बदायूं: मर्दों की दगाबाजी ने दिखाई नई राह ! लड़कियों ने एक दूसरे की मांग भरकर खाईं साथ निभाने की कसमें
बदायूं, अमृत विचार। दो युवतियों ने कलेक्ट्रेट के पास मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर शादी कर ली। एक दूसरे को माला पहनाई। एक युवती ने दूसरी की मांग भरी और साथ जीने-मरने की कसम तक खाई। उन्होंने बताया कि मुस्लिम युवकों ने खुद को हिंदू बताकर दोस्ती की थी। बाद में मुसलमान होने का पता चला तो उन्हें मर्दों से नफरत हो गई है। जिसके चलते उन्होंने आपस में शादी का निर्णय लिया। अब वह अपने परिजनों को बताएंगी। परिजनों के न मानने पर दिल्ली में साथ रहकर जीवनयापन करेंगी।
दरअसल अलापुर कस्बा निवासी युवती दिल्ली के बेबी केयर सेंटर पर काम करती है। वहीं दूसरी युवती सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र की है। वह उत्तराखंड की एक सिक्योरिटी एजेंसी में बतौर गार्ड काम करती है। मुस्लिम युवकों ने हिंदू बनकर उनसे दोस्ती की थी। आपस में प्रेम हो गया था लेकिन बाद में पता चला कि वह मुस्लिम हैं तो उन्हें युवकों से संबंध खत्म कर दिए थे। जिसके बाद दोनों में पुरुषों के लिए नफरत पैदा हो गई। तकरीबन तीन महीने पहले वह दोनों कलेक्ट्रेट परिसर में मिली थीं। एक-दूसरे बात की। विचार मिलने पर एक दूसरे के साथ रहने का निर्णय लिया। मंगलवार को वह दोनों अधिवक्ता के पास पहुंचीं। अधिवक्ता ने दोनों को मंदिर पर ले जाकर शादी कराई। दोनों युवतियों ने भगवान को साक्षी मानकर शादी कर ली।
दोनों ने एक दूसरे को माला पहनाई। उन्होंने बताया कि अभी उनके रिश्ते के बारे में परिजनों को नहीं पता है। अब जाकर बताएंगे। कहा कि अगर परिवार के लोग रिश्ते को स्वीकार करेंगे तो ठीक वर्ना दिल्ली में साथ रहकर पूरा जीवन बिताएंगी। उन्होंने अपने नाम भी बदले हैं। उनमें से एक पति की भूमिका में रहेगी। दोनों युवतियों के पहले से शादीशुदा होने की भी चर्चा है लेकिन युवतियों ने इस बात से इंकार किया है। अधिवक्ता मोहित पांडेय ने बताया कि हिंदू मैरिज एक्ट में ऐसा प्रोवीजन नहीं है कि महिला से महिला के विवाह हो। यह हिंदू विवाह अधिनियम के शर्तों के विपरीत है। महिला से महिला के विवाह का कहीं वर्णन नहीं है।
