'आकाशतीर' भारत के भविष्य का स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम, DRDO प्रमुख का बयान-ऑपरेशन सिंदूर में किया अभूतपूर्व प्रदर्शन 

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Published By Anjali Singh
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नागपुर। भारत के शीर्ष रक्षा वैज्ञानिक ने भरोसा जताया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत की स्वदेश निर्मित ‘आकाशतीर’ वायु रक्षा प्रणाली की सफलता दूसरे देशों को आकर्षित करगी। भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित और पूरी तरह से स्वचालित ‘आकाशतीर’ वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली को तैनात किया था, जो पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान नई युद्ध क्षमताओं की अदृश्य शक्ति के रूप में उभरी। 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख समीर वी. कामत ने बृहस्पतिवार शाम को ‘न्यूज़ एजेंसी’ से कहा, ‘निश्चित रूप से, हमारी वायु रक्षा प्रणाली ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, और मुझे यकीन है कि अन्य देशों की भी इसमें रुचि होगी।’ कामत ने नागपुर की यात्रा के दौरान भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी के भविष्य के बारे में आशा व्यक्त की। उन्होंने यहां ड्रोन, मिसाइल और रॉकेट विनिर्माण केंद्रों का दौरा किया। डीआरडीओ प्रमुख ने रक्षा क्षेत्र में भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने की दिशा में आगे बढ़ने के बारे में बात करते हुए कहा कि पर्याप्त प्रगति हुई है, लेकिन पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है। 

कामत ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तर हासिल कर लिया है, लेकिन हमें अब भी कुछ काम करना है। और मुझे यकीन है कि आने वाले वर्षों में हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएंगे।’’ क्या पारंपरिक हथियार भविष्य के संघर्षों में पीछे रह जाएंगे, इस पर कामत ने कहा कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक उपकरणों को ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य के युद्ध में पारंपरिक उपकरणों के साथ-साथ इन नई चीजों का भी संयोजन होगा... हमें दोनों के लिए तैयार रहना होगा।’ 

कामत ने निकट भविष्य में रोबोट द्वारा युद्ध के मैदान में सैनिकों की भूमिका निभाने की संभावना को खारिज कर दिया और कहा, ‘‘एक दिन ऐसा आएगा जब ऐसा हो सकता है, लेकिन निकट भविष्य में नहीं।’’ ‘आकाशतीर’ प्रणाली विभिन्न रडार प्रणालियों, सेंसर और संचार प्रौद्योगिकियों को एक एकल, मोबाइल, वाहन-आधारित ढांचे में एकीकृत करके दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उनसे निपटने में सक्षम बनाती है, जिससे शत्रुतापूर्ण वातावरण में इसे संभालना आसान हो जाता है। 

स्वदेशी 5.5 पीढ़ी के ‘स्टेल्थ’ लड़ाकू विमान - आधुनिक मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के विकास की प्रगति के बारे में पूछे गए सवाल पर कामत ने कहा, ‘‘एएमसीए विकसित करने की हमारी परियोजना पिछले साल शुरू हुई थी, और हमें उम्मीद है कि यह 2034 तक पूरी हो जाएगी तथा फिर 2035 तक इसे शामिल कर लिया जाएगा।’’ फरवरी में बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया 2025 में एएमसीए के पूर्ण पैमाने के मॉडल का अनावरण किया गया था।

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