Bareilly: पेड़ों पर चल रही आरी तो पर्यावरण योद्धा निभा रहे दरख्तों से यारी
कुछ ऐसे भी पर्यावरण प्रेमी हैं, जो सालों से पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रेरित कर रहे
अंकित चौहान, अमृत विचार। भले ही घर में दो सदस्य हों लेकिन लोग बड़े-बड़े मकान बना रहे हैं, इतना ही नहीं, जिधर भी नजर घुमाओ धड़ल्ले से बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जा रहीं है, लेकिन कंक्रीट के जंगल को बसाने में हरियाली पर आरी चला रहे हैं। जबकि इस दौर में पेड़ों को संरक्षण देने के साथ प्रकृति को संवारने की भी जरूरत है। ऐसे हालात में ऐसे भी योद्धा हैं, जो कई सालों से पर्यावरण संरक्षण को लेकर दूसरे को जागरूक करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
छात्रों और तीमारदारों के दर्द से मिली सीख, अब मिल रही ठंडी छांव
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अनुपम शर्मा ने 2015-16 में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर राजश्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ज्वाइन किया। वहां अस्पताल में मरीज भर्ती होने आते थे, उनके साथ आए तीमारदार भीषण गर्मी में ठंडक की आस में कॉलेज में जगह-जगह एक दो पेड़ दिखने पर उनके नीचे बैठ जाते थे, साथ ही जो छात्र-छात्राएं कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, वह भी हॉस्टल से कड़ी धूप में छाता लगाए कॉलेज पहुंचते थे, डॉ. अनुपम ने बताया कि चूंकि बचपन से ही पर्यावरण के प्रति लगाव था, मन में ये सब दृश्य देखकर टीस उठी कि कॉलेज को ही हरा-भरा बनाया जाए। करीब 8 साल पहले शुरूआत में कुछ छायादार पेड़ निजी खर्च से खरीद कर लाए और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की अनुमति से परिसर में पेड़ लगाना आरंभ कर दिया। बताया कि अब तक वह कॉलेज परिसर में 500 से अधिक पेड़ लगा चुके हैं 8 साल पहले जो पेड़ लगाए वो अब बड़े छायादार हो गए हैं। डॉ. अनुपम की इस पहल को देखकर कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें पांच मालियों की टीम और जो भी पेड़ लगाने की वह इच्छा जाहिर करते हैं कॉलेज प्रबंधन फौरन मुहैया कराता है। वहीं उनके प्रयास को देखकर छात्र-छात्राएं व अन्य स्टाफ भी उनकी इस मुहिम में शामिल हो गया है।
पर्यावरण के प्रति ऐसी लगन कि राष्ट्रपति से मिला सम्मान
शिक्षक को छात्र का भाग्य विधाता कहा गया है, लेकिन अगर शिक्षक छात्र हित के संकल्प के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित हो जाए तो उनका व्यक्तित्व और भी व्यापक हो जाता है। ऐसे ही शिक्षकों में शामिल हैं शहर के सिटी सब्जी मंडी के पास रहने वाली अर्चना राजपूत। वर्तमान में वह शहर के जीजीआईसी कॉलेज में अंग्रेजी की प्रवक्ता हैं, लेकिन शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने जीजीआईसी कॉलेज में वर्ष 1997 में बतौर शारीरिक शिक्षिका के पद पर ज्वाइनिंग की। मन में पर्यावरण सरंक्षण की ललक थी तो 2002-03 में जब राष्ट्रीय सेवा योजना सत्र का आरंभ हुआ तो उन्हें कार्यक्रम अधिकारी की जिम्मेदारी मिली, उनके मन की ललक को धरातल पर उतारने का ये बेहतर समय था उन्होंने देर न करते हुए कॉलेज परिसर में जगह-जगह पौधरोपण करना आरंभ कर दिया। अर्चना राजपूत ने बताया कि पर्यावरण के प्रति उनका समर्पण देखते हुए वर्ष 2014 से वर्ष 2024 के अक्टूबर तक एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी रहीं इस दौरान उन्होंने कॉलेज परिसर में एक खाली स्थान में 200 पौधे लगाए जो कि अब छायादार पेड़ बन चुके हैं ये खाली स्थान अब एनएसएस उद्यान के नाम से जाना जाता है। अर्चना राजपूत की ओर से पर्यावरण संरक्षण के प्रति वर्ष 2018-19 में किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया गया। अर्चना ने बताया कि राष्ट्रपति की ओर से देश भर से राष्ट्रीय सेवा योजना में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 कार्यक्रम अधिकारियों को चुना जाता है।
