बेहतर होगा भू रिकॉर्ड, ड्रोन सर्वेक्षण से बनेगा शहरों का नक्शा, खरीद व बिक्री में धोखाधड़ी पर लगेगी रोक
लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के बाद अब सभी शहरी क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण से नया नक्शा बनेगा। इससे भू रिकॉर्ड बेहतर होने के साथ शहरी क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता की सटीक जानकारी सामने आएगी, इससे भूमि का मालिकाना अधिकार को लेकर स्पष्टता आएगी। भूमि विवाद कम होंगे और भूमि खरीद व बिक्री में धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
सोमवार को राजस्व परिषद में ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी और संयुक्त सचिव कुनाल सत्यार्थी ने राजस्व विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर ड्रोन सर्वेक्षण की तैयारियों की समीक्षा की। कहा गया कि वर्तमान में प्रदेश में 22.27 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास कर रही है। वर्ष 2031 तक 40 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करने लगेगी।
इसलिए सटीक व सुलभ भूमि रिकार्ड प्रणाली की जरूरत है। अभी तक शहरी क्षेत्रों के जो भी नक्शे हैं वह टैक्स प्रणाली के मद्देनजर तैयार किए गए हैं। ड्रोन सर्वेक्षण के बाद सभी शहरों का नक्शा तैयार किया जाएगा, इससे भूमि का मालिकाना अधिकार को लेकर स्पष्टता आएगी। नागरिकों को इसके लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। साथ ही भूमि विवाद कम होंगे और भूमि खरीद व बिक्री में धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
केंद्रीय टीम ने जिन शहरों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाना है, वहां के नोडल अधिकारियों के साथ भी बैठक की। बैठक में राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष अनिल कुमार, राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव पी गुरुप्रसाद व राहत आयुक्त भानु गोस्वामी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इनसेट
सर्वेक्षण पूरा करने पर मिलेगा 10 करोड़ प्रोत्साहन राशि
भूमि संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए कराए जाने वाले सर्वेक्षण के जरिए सभी शहरों व कालोनियों के नक्शों की जियो-रेफरेंसिंग (वास्तविक दुनिया के भौगोलिक निर्देशांकों को डिजिटल मानचित्र या छवि के साथ जोड़ने की प्रक्रिया) पूरी की जाएगी। उन्होंने बताया कि ड्रोन सर्वेक्षण का कार्य पूरा करने वाले नगरीय निकायों को 10 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। देशभर में 4,912 शहरों में ड्रोन सर्वेक्षण करवाने का लक्ष्य रखा गया है।
डीआइएलआरएमपी के तहत होगें सर्वेक्षण
डिजिटल इंडिया भूमि रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआइएलआरएमपी) के तहत होने वाले इस सर्वेक्षण के जरिए शहरी क्षेत्रों का क्षेत्रफल, वर्तमान वास्तविक स्थिति तथा भूमि की उपलब्धता की सटीक जानकारी एकत्र की जाएगी। साथ ही शहरी क्षेत्रों में स्थित कालोनियों का भी नक्शा तैयार किया जाएगा। पहले चरण में टांडा, नवाबगंज, अनूपशहर, चित्रकूट धाम, गोरखपुर, हरदोई, झांसी, चुनार, पूरनपुर व तिलहर का ड्रोन सर्वेक्षण किया जाएगा। पिछले साल दो सितंबर को केंद्रीय भूमि संसाधन विभाग के अधिकारियों की टीम ने लखनऊ में राजस्व विभाग के अधिकारियों को शहरी क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण को लेकर प्रशिक्षण भी दिया था।
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