फिसड्डी निकली यूपी की टीम, ऑनलाइन और डिजिटल काम में चमका बिहार, मिशन कर्मयोगी योजना के आंकड़ों से हुआ चौकाने वाला खुलासा
लखनऊ, अमृत विचार। ऑनलाइन और डिजिटल काम करने में यूपी के अफसर-कर्मचारी बिहार से भी पीछे है। यह खुलासा ऑनलाइन कार्मिक प्रशिक्षण देने वाली भारत सरकार की मिशन कर्मयोगी योजना के आंकड़ों से हुआ है। हाल यह है कि यूपी के मुकाबले बिहार के करीब नौ गुना अधिक अफसर-कर्मियों ने ट्रेनिंग ली है। यहां ट्रेनिंग के लिए पंजीकरण कराने से भी लोग कतरा रहे हैं। अब मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्मिक विभाग ने सख्त निर्देश जारी किए हैं।
डिजिटल और ऑनलाइन कार्य करने की दक्षता व प्रशिक्षण हासिल में बिहार ने पूरे देश में झंडे गाड़े हैं। जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में इस योजना के तहत 28 मई तक कुल 13,71,134 कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए चिन्हित किया गया। इनमें से 9,67,886 कर्मियों का डिजिटल प्रशिक्षण व कोर्स पूरा करने के लिए नामांकन हुआ है, जिसमें बिहार के 6,43,784 कर्मचारियों ने ट्रेनिंग पूरी कर ली है। काम काज भी शुरू कर दिया है। इसके मुकाबले उत्तर प्रदेश में स्थिति चिंताजनक है। यहां 28 मई तक कुल 9,14,845 अधिकारी व कर्मचारी पंजीकृत हुए। इनमें से सिर्फ 1,30,936 कर्मियों का कोर्स के लिए पंजीकरण हुआ हैं। इसमें से भी महज 74,096 की ही ट्रेनिंग पूरी हुई। यानी बिहार की तुलना में यूपी के कर्मचारी अभी मिशन कर्मयोगी के तहत डिजिटल कौशल प्रशिक्षण में काफी पीछे हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 24 मई को दिल्ली में मिशन कर्मयोगी के बारे में बैठक की थी।
कर्मियों को किया जा रहा डिजिटल दक्ष
मिशन कर्मयोगी का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों कर्मचारियों को पारंपरिक कार्य प्रणाली से आगे ले जाकर डिजिटल माध्यमों पर दक्ष बनाना है। इसके अंतर्गत उन्हें ई-ऑफिस, ई-गवर्नेस, ऑनलाइन फाइल निपटान, डिजिटल डाटा मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के जरिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए केंद्र की ओर से कर्मयोगी प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है, जहां पर विभागीय कर्मियों को उनके कार्य क्षेत्र के अनुसार कोर्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
यूपी में सिर्फ 14 फीसदी नामांकन
मिशन कर्मयोगी के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में लगभग 70 प्रतिशत कर्मियों का नामांकन पूरा हो चुका है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत महज 14 के आसपास है। यूपी में डिजिटल दक्षता के मामले में अभी बहुत काम होना बाकी है। प्रमुख सचिव कार्मिक एम देवराज ने यूपी की खराब स्थिति की समीक्षा की है। उन्होंने कार्मिकों का नामांकन बढ़ाए जाने के साथ प्रशिक्षण पूरा करने पर जोर दिया है।
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