डिफेंस कॉरिडोर और IMLC में होगी पर्यावरण की निगरानी, यूपीडा मान्यता प्राप्त लैब से छह माह की रिपोर्ट करेगा तैयार
डिफेंस कॉरीडोर के विभिन्न नोड्स पर जल्द शुरू होगा कार्य
लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में पर्यावरण संबंधी पहलुओं की निगरानी सुनिश्चित होगी। यूपीडा पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए मान्यता प्राप्त लैब से छह माह की रिपोर्ट तैयार करेगा।
उप्र एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने डिफेंस कॉरिडोर व आईएमएलसी क्षेत्रों में पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत इन क्षेत्रों की हर छह महीने में पर्यावरण अनुपालन रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह रिपोर्ट पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत मान्यता प्राप्त और राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से प्रमाणित लैब्स द्वारा तैयार की जाएगी।
लैब्स न केवल पर्यावरणीय मापदंडों की निगरानी करेगी, बल्कि निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट तैयार कर उसे ऑनलाइन अपलोड भी करेंगी। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और सतत औद्योगिक विकास सुनिश्चित होगा। यह पहल डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग व लॉजिस्टिक्स क्लस्टर (आईएमएलसी) की परियोजनाओं के लिए लागू की गई हैं। यूपीडा के मुताबिक, पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त स्थानों पर यह प्रक्रिया जल्द ही प्रारंभ कर दी जाएगी। इससे न केवल पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित होगा, बल्कि निवेशकों को भी यह भरोसा मिलेगा कि विकास कार्य पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी तरीके से हो रहा है। रिपोर्ट को पर्यावरण मंजूरी देने वाली संस्थाओं जैसे राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को ऑनलाइन जमा भी किया जाएगा। इन जिलों के अलावा, आगरा और उन्नाव के लिए पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जैसे ही मंजूरी प्राप्त होगी, वहां भी कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
लखनऊ-कानपुर समेत पांच जिलों में होगी शुरूआत
यूपीडा ने जिन जिलों में पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त की है, उनमें अलीगढ़, कानपुर नगर, लखनऊ, चित्रकूट और झांसी शामिल हैं। इन जिलों में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण और विकास कार्य प्रगति पर हैं। अब इन स्थानों पर पर्यावरण की स्थिति की नियमित निगरानी की जाएगी। प्रत्येक छह महीने में लैब्स द्वारा सैंपलिंग, फील्ड निरीक्षण और संबंधित अधिकारियों से सूचना एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस रिपोर्ट में वायु, जल, ध्वनि, मिट्टी जैसे प्रमुख पर्यावरणीय घटकों की स्थिति का विवरण होगा।
