मुरादाबाद: तीन बार DIG के सामने पेश हुई रेप पीड़िता, तब लिखा मुकदमा
डीआईजी का आदेश दरकिनार करने वाले इंस्पेक्टर निलंबित
मुरादाबाद, अमृत विचार। डीआईजी का आदेश दरकिनार करना मझोला थाना के प्रभारी निरीक्षक को भारी पड़ गया। लगभग एक माह तक भटकने के बाद दुष्कर्म पीड़िता का डीआइजी के तीसरे आदेश पर मझोला पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जिसके बाद थाना पुलिस मामले को समझौता कराकर निपटाने के प्रयास में लगी रही। डीआईजी के तीसरे आदेश पर पुलिस ने 29 मई को मुकदमा दर्ज किया। दो बार के आदेश को दरकिनार करने वाले इंस्पेक्टर रामप्रसाद शर्मा की डीआईजी ने एसपी क्राइम से जांच शुरू करा दी। जांच रिपोर्ट में दोषी मिलने पर गुरुवार की देर रात इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया। इसके अलावा पुलिस लाइन में रहने के निर्देश देते हुए बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ने पर रोक लगा दी है।
थाना मझोला क्षेत्र के एक मोहल्ला में रहने वाली युवती की शादी भगतपुर निवासी सेल्सटैक्स में तैनात बाबू ओमकार के साथ तय हुई थी। जनवरी माह में युवक ने युवती को उसके घर देखने की रस्म पूरी की। देखने की रस्म के दौरान युवती के पिता द्वारा युवक को दो लाख रुपये दि गए। इसके बाद गोदभराई एक होटल में हुई, जिसमें दहेज में पांच लाख रुपये युवती के पिता ने युवक के पिता को दहेज के रूप में दिए। शादी में देने के लिए 19 अप्रैल को युवती के पिता ने कार खरीद ली, लेकिन कुछ दिन बाद युवक के पिता ने दहेज में 30 लाख रुपये की मांग शुरू कर दी। इसी बात को लेकर विवाद शुरू हो गया।
युवती का आरोप की शादी तय होने के बाद मार्च माह में युवक मुरादाबाद में अपना मकान दिखाने के बहाने युवती को साथ लेकर गया और नशीली कोल्ड ड्रिंक पिलाकर दुष्कर्म किया। इसी बीच शादी की तारीख 9 मई तय हो गई, लेकिन युवक ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसी बीच मामला खुशहालपुर चौकी तक पहुंच गया। चौकी इंचार्ज की मौजूदगी में एक माह के अंदर शादी होने की बात तय हो गई, लेकिन दो दिन बाद फिर से युवक ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पीड़ित ने माता पिता के साथ पहुंचकर थाना पुलिस को दुष्कर्म और दहेज के लिए शादी नहीं करने का आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायती पत्र दिया, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। दुष्कर्म पीड़ित के अनुसार 23 अप्रैल को वह माता पिता के साथ डीआईजी मुनिराज जी के पास पहुंची। डीआईजी ने शिकायत सुनने के बाद शादी कराने का आश्वासन दिया।
पुलिस ने शादी कराने के लिए दोनों पक्षों के बीच समझौते का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने, लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। इसके बाद 22 मई को युवती फिर से डीआईजी के पास पहुंची। डीआईजी ने थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए। डीआईजी के कहने पर युवती थाने पहुंची तो उसकी सुनवाई नहीं हुई और थाने टरका दिया गया। तीसरी बार युवती 28 मई को फिर से डीआईजी के पास पहुंची। डीआईजी ने एक बार फिर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए, लेकिन पुलिस ने फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं किया। 29 मई को
युवती के माता-पिता डीआईजी के पास पहुंच गए।
डीआईजी को जब पता चला कि आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो उन्होंने अपने कार्यालय से इंस्पेक्टर को फोन कराया। नाराजगी व्यक्त की तो 29 मई की शाम पुलिस ने शिकायती पत्र के आधार पर ओमकार, सुरजीत सिंह, विवेक, राहुल, सुरेंद्र सिंह, हरि सिंह, राजेंद्री, प्रियंका और पूजा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। देर से मुकदमा दर्ज करने पर डीआईजी मुनिराज जी ने जांच एसपी क्राइम सुभाषचंद्र गंगवार को सौंप दी। उन्होंने जांच करने में पाया कि पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती है। गुरुवार की शाम जांच रिपोर्ट डीआइजी के पास पहुंची तो उन्होंने देर रात इंस्पेक्टर रामप्रसाद शर्मा को निलंबित कर दिया।
