नौकर सुसाइड मामला : रिटायर्ड जज दंपती की गिरफ़्तारी पर रोक, जानें क्या है मामला

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Published By Anjali Singh
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-चोरी के आरोप के बाद नौकर ने की थी आत्महत्या, 25 जून को नौकर की पत्नी ने भी कर ली खुदकुशी

लखनऊ, अमृत विचार: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अनिल कुमार व उनकी पत्नी वंदना श्रीवास्तव की अंतरिम गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। पूर्व न्यायमूर्ति के नौकर ने चोरी का आरोप लगने के बाद आत्महत्या कर ली थी। मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप पूर्व न्यायमूर्ति व उनकी पत्नी पर लगा है। कोर्ट ने याचियों को अंतरिम राहत देने के साथ-साथ राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने पूर्व न्यायमूर्ति व उनकी पत्नी की याचिका पर पारित किया। याचिका में 2 अप्रैल 2025 के उस एफआईआर को खारिज करने की मांग की गई है, जिसमें मृतक महेश निषाद की पत्नी ने याचियों पर उसके पति को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। 

याचियों की ओर से अधिवक्ताओं प्रांशु अग्रवाल व चंदन श्रीवास्तव ने दलील दी कि महेश निषाद ने 18 मार्च 2025 को अलीगंज थाने में स्वीकार किया था कि उसने साढ़े छह लाख रुपये याचियों के घर से चोरी किए हैं तथा 90 हजार व 38 हजार रुपये वापस भी किए। उसके छोटे भाई शंकर निषाद व पत्नी कविता निषाद के साथ थाने में लिखित समझौता हुआ कि वह बाकी के पैसे छह माह में लौटा देगा। 

कहा गया कि इसके 13 दिनों बाद उसने आत्महत्या कर लिया। लिहाजा ये नहीं कहा जा सकता कि याचियों ने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया हो। यह भी दलील दी गई कि मृतक पर बैंकों का लाखों रुपये कर्ज था, उसका घर भी नीलामी प्रक्रिया में था। राज्य सरकार की ओर से मामले में विवेचना की स्थिति से अवगत कराया गया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के उपरांत पारित अपने आदेश में कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध गठित करने वाले तत्वों का अभाव दिख रहा है।

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