स्क्वैश, पेय पदार्थ और पापड़! छोटा और रिजेक्ट आम 12 महीने दिलाएगा मुनाफा

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Published By Anjali Singh
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प्रशांत सक्सेना/ लखनऊ, अमृत विचार : बाजार में न बिकने वाला छोटा और कम वजन का आम बर्बाद नहीं जाएगा बल्कि बागवानों को 12 मास दाम दिलाएगा। ऐसे आम के गूदा का पल्प बनाकर प्रीर्जव यानी सुरक्षित कर जूस की तरह स्क्वैश, पेय पदार्थ व पापड़ बनाकर बागवान अपनी आय बढ़ाएंगे। यह पहल मलिहाबाद में संचालित किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भदेसरमऊ प्रोड्यूसर कंपनी ने की है। 

ये समूह में सैकड़ों बगवानों को जोड़कर उनसे कम वजन और छोटा आम खरीदकर पल्प बनाकर साल भर सुरक्षित रखता है और बाजार से समय-समय पर मांग आने पर पापड़, स्क्वैश व पेय पदार्थ बनाकर बेचता है। इस सीजन में एक हजार किलो आम से पल्प बनाकर सुरक्षित किया है। इसे प्रसंस्कृत कर साल भर उत्पाद बनाकर बेचेगा। 

वहीं, आम बेचने वाले किसानों को नुकसान की बजाय फायदा हुआ है। एफपीओ के निदेशक गिरजा शंकर मौर्य बागवानों को अपनी इकाई का विजिट कराकर पल्प से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देते हैं। ताकि उन्हें आम के दाम मिल सकें।

पानी मिलाने से स्क्वैश बन जाता जूस

गिरजा शंकर बताते हैं कि उन्होंने दो वर्ष परीक्षण के तौर पर केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में पल्पर मशीन से आम का पल्प तैयार करके उससे उत्पाद बनाकर बेचे। सफलता मिलने पर इस वर्ष मशीन खरीदकर एक हजार किलो पल्प प्रीर्जव किया है। इसमें शक्कर और पोटेशियम मेटा बाई सल्फेट डालकर साल भर सुरक्षित रखेंगे। इसके इस्तेमाल से रंग, सुगंध व स्वाद वैसा ही रहेगा। स्क्वैश गाढ़ा होता है और पानी मिलाते ही जूस बन जाता है। स्क्वैश 500 मिली की बोतल 130 रुपये और पापड़ 100 ग्राम 80 रुपये तक लखनऊ, जयपुर, कानपुर में बेचते हैं।

उपनिदेशक, उद्यान, लखनऊ मंडल डॉ. डीके वर्मा, ने बताया कि जिले में आम के पल्प से खाद्य सामग्री व पेय पदार्थ बनाने की एफपीओ ने पहल की है। यह कारोबार बागवानों को नुकसान से बचाएगा। साथ ही बाजार में न बिकने वाले आम के दाम दिलाएगा। इससे छोटे आम की मांग बाजार में बढ़ेगी।
 
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