UP Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग के दो और कर्मचारियों पर मुकदमा
लखनऊ। समाज कल्याण विभाग में हुये छात्रवृत्ति घोटाले में पूर्व निदेशक मिश्रीलाल पासवान की गिरफ्तारी के बाद दो अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी अभियोजन की मंजूरी मिली है वहीं एक उपनिदेशक भी जांच के दायरे में हैं। उपनिदेशक के नियुक्ति प्राधिकारी राज्यपाल होते हैं। इसलिए अभी उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है लेकिन इन पर भी आने वाले दिनों में गाज गिरनी तय है।
फिलहाल तत्कालीन पटल सहायक शिक्षा अनुभाग धर्मेंद्र सिंह और अधीक्षक शिक्षा अनुभाग डीके गुप्ता(रिटायर) के खिलाफ निदेशक कुमार प्रशांत ने अभियोजन चलाने की स्वीकृति दे दी है। मामला वर्ष 2010 से 2012 के बीच का है। जिसमे गुरु नांनक एजुकेशन ट्रस्ट के तत्कालीन ट्रस्टी के साथ मिलीभगत कर छात्रवृत्ति घोटाला किया गया था।
उस दौरान समाज कल्याण निदेशालय में निदेशक मिश्रीलाल, तत्कालीन पटल सहायक शिक्षा अनुभाग धर्मेंद्र सिंह, अधीक्षक शिक्षा अनुभाग डीके गुप्ता (सेवानिवृत्त) व अनिल उपाध्याय (मृत), तत्कालीन योजना अधिकारी व वर्तमान में उपनिदेशक के पद पर तैनात मंजूश्री श्रीवास्तव व गुरुनानक एजूकेशन ट्रस्ट के ट्रस्टी गुरु सिमरन सिंह चड्डा को नामजद किया गया था।
इनमें धर्मेंद्र सिंह व मंजूश्री श्रीवास्तव अभी तैनात हैं। उस दौरान पीजीडीएम कर रहे 336 छात्रों को निर्धारित राशि से अधिक छात्रवृत्ति दी गई थी। इतना ही नही ट्रस्ट द्वारा कई छात्रों का फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति भी ली गई। एसआईटी की तरफ से मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने जांच की थी। जांच में पता चला कि छात्र-छात्राओं के लिए अनुसूचित जाति दशमोत्तर छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि वर्ष 2010-11 व वर्ष 2011-12 में समाज कल्याण निदेशालय से ली गई थी।
शैक्षणिक वर्ष 2010-11 और 2012-13 के लिए अस्थायी संबद्धता की स्वीकृति व पीजीडीएम पाठ्यक्रम की 180 सीटों का उल्लेख किया गया था, उसमें संस्था का नाम हरमिश कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट अंक़ित था। छात्रवृति के निर्धारित 91,200 रुपये के स्थान पर 2.30 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया। इतना ही नही ट्रस्ट के साथ मिलीभगत करके फर्जी दस्तावेजों के जरिये छात्रवृत्ति के करीब 7.95 रुपये हड़पे गए थे।
