शाहजहांपुर: यूरिया की जंबो रैक पहुंची, जनपद में खाद की कोई कमी नहीं

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Published By Monis Khan
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शाहजहांपुर, अमृत विचार। किसानों को खरीफ सीजन में खाद संकट से बचाने के लिए सहकारिता तंत्र ने इस बार रिकॉर्ड आपूर्ति की है। जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष एवं प्रशासनिक समिति सभापति डीपीएस राठौर ने कहा कि जनपद में यूरिया की कोई कमी नहीं। खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध कराई जाएगी और जरूरत के अनुसार गांव-गांव भेजी जाएगी।

उन्होंने बताया कि उर्वरक खरीफ अभियान के लिए शाहजहांपुर का कुल लक्ष्य 17,000 मीट्रिक टन था, जबकि 21 जुलाई तक सहकारी समितियां 18,000 एमटी से अधिक यूरिया व अन्य उर्वरक वितरित कर चुकी हैं। पिछली वर्ष इसी अवधि तक वितरण 11,000 एमटी पर रुका था यानी इस बार आपूर्ति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।

राठौर ने कहा कि केवल 1 जुलाई से अब तक लगभग 11,000 एमटी यूरिया जनपद को प्राप्त हो चुकी है। जिलाधिकारी के आग्रह पर सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के विशेष प्रयास से 20 जुलाई को एक जंबो रैक शाहजहांपुर के लिए भेजी गई, जिसे उतारकर समितियों को आवंटन शुरू कर दिया गया है। मंत्री के निर्देश के तहत जनपद को आने वाली प्राइवेट रैक खेपों में से 40 प्रतिशत हिस्सा सहकारिता विभाग को दिया जा रहा है।

अब तक लगभग 3,000 एमटी यूरिया इसी माध्यम से समितियों तक पहुंच चुका है। इसके अतिरिक्त आंवला प्लांट से प्रतिदिन लगभग 120 एमटी यूरिया सड़क मार्ग से सहकारिता को मिल रही है, जिससे लगातार रीस्टॉकिंग संभव है।

वर्तमान में जनपद के पास 5,000 एमटी से अधिक यूरिया उपलब्ध है। डीपीएस राठौर ने समीक्षा बैठक में सभी समिति सचिवों और ब्लॉक-स्तरीय सहकारी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जहां किसानों की मांग अधिक है, वहां प्राथमिकता से खेप भेजें। किसानों को लाइनों में लगना न पड़े, इसके लिए अग्रिम मांग-पत्र और रीयल-टाइम स्टॉक की रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई है।

समीक्षा बैठक में सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता अखिलेश प्रताप सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौरभ द्विवेदी, जिला सहकारी अधिकारी आनंद श्रीवास्तव, हरिकेश परमार, संजय सिंह, जिला प्रबंधक पीसीएफ यशवीर सिंह, इफको प्रतिनिधि रामरतन सिंह, राकेश कुमार सिंह, प्रवीण सोनकर सहित सहकारिता तंत्र से जुड़े अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक के बाद ब्लॉकवार डिस्पैच अनुसूची को अंतिम रूप दिया गया।

किसानों को मिलेगी राहत
सहकारिता मुख्यालय पर हुई समीक्षा में यह भी सामने आया कि इस सीज़न की तेज मांग के चलते वितरण की गति बढ़ानी पड़ी। समय पर बारिश के अनुमान और धान-मक्के की बुवाई से खाद की मांग ऊपर गई पर पर्याप्त आपूर्ति के कारण कोई बड़ा संकट नहीं आया। समिति-वार आवंटन सूची तैयार कर ऑनलाइन/वॉल डिस्प्ले पर लगाने के निर्देश दिए गए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

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