Alert: 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया पृथ्वी का तापमान... उर्वरकों के अति प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित

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Published By Muskan Dixit
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कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड हैं जिम्मेदार

लखनऊ, अमृत विचार: कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें वैश्विक तापमान को तेजी से बढ़ा रही हैं। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता लगभग 420 पीपीएम, मीथेन की 1934 पीपीएम और नाइट्रस ऑक्साइड की 337 पीपीएम तक पहुंच चुकी है। यह जानकारी प्रख्यात पर्यावरण वैज्ञानिक अमेरिका के नॉर्थ कैरोलाइना स्टेट यूनिवर्सिटी, रैले के प्रो. विनय पी. अनेजा ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दी।

प्रो. अनेजा ने बताया कि भारत में औद्योगिकीकरण से पहले की तुलना में तापमान कई गुना बढ़ चुका है। पृथ्वी के औसत तापमान में लगभग 1.2°C की वृद्धि का प्रमुख कारण ये ग्रीनहाउस गैसें हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा उत्पादन, परिवहन और औद्योगिक प्रक्रियाएं कार्बन डाइऑक्साइड के मुख्य स्रोत हैं। कृषि कार्य, पशुपालन और अपशिष्ट प्रबंधन से मीथेन का उत्सर्जन होता है, जबकि उर्वरकों के अति प्रयोग और कृषि‑अवशेष प्रबंधन से नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा 74 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।

ग्रीनहाउस गैसों का खतरा

कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प पृथ्वी के पर्यावरण के प्राकृतिक घटक हैं, जो जीवन के अनुकूल तापमान बनाए रखते हैं। परंतु औद्योगिक क्रांति के बाद जीवाश्म ईंधनों के उपयोग, वनों की कटाई और असंतुलित विकास ने इस प्राकृतिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। भविष्य के लिए यह स्थिति चेतावनी है, जिसके समाधान हेतु ऊर्जा संरक्षण, नवीकरणीय स्रोतों का प्रयोग, सतत कृषि पद्धतियां और वैज्ञानिक नीति-निर्माण आवश्यक हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित

कुलपति प्रो. अजय तनेजा, डॉ. नलिनी मिश्रा, डॉ. बृजेश कुमार द्विवेदी, डॉ. सुमन कुमार मिश्रा, डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ. अंकिता अग्रवाल सहित सभी शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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