प्रीसीजन मेडिसिन से केजीएमयू में गंभीर मरीजों की मृत्युदर में 10% की कमी, जल्द शुरू होगी थेरेप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग
लखनऊ, अमृत विचार। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में तत्काल और अल्पकालिक चिकित्सा (एक्यूट केयर पेशेंट) देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों के मृत्युदर में 10 प्रतिशत की कमी आई है। इसमें प्रीसीजन मेडिसिन का बड़ा रोल है। यह जानकारी केजीएमयू में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो.अविनाश अग्रवाल ने गुरुवार को विभाग में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान दी है। उन्होंने यह भी बताया है कि इसी साल दिसंबर तक थेरेप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग (TDM) की शुरुआत कर दी जायेगी। जिससे गंभीर मरीजों को दी जाने वाली दवा का कितना लाभ मिल रहा है। इसकी जानकारी भी सटीकता के साथ मिल सकेगी। जिससे उनका जीवन बचाना डॉक्टरों के लिए आसान होगा।
दरअसल, प्रिसिजन मेडिसिन चिकित्सा की वह विधा है जिसमें व्यक्ति के प्रकृति, वातावरण, व समूह के आधार पर चिकित्सा की जाती है। इस विधा से मरीजों का वर्गीकरण कर उनको सटीक इलाज देना आसान होता है। केजीएमयू में इस विधा से मरीजों को इलाज देने की शुरूआत प्रो. अविनाश अग्रवाल ने करीब एक साल पहले की थी। क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की तरफ से करीब 300 गंभीर मरीजों का इलाज इस विधा से किया गया। जिसका लाभ मरीजों को मिला है। आने वाले समय में थेरेप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग की शुरूआत होने से मरीज के लिए कौन सी दवा ज्यादा उपयुक्त है, यह चुनना डॉक्टरों के लिए आसान हो जायेगा। जिससे मरीज को जल्द स्वस्थ्य लाभ होगा।
क्या है थेरेप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग
प्रो.अविनाश अग्रवाल ने बताया कि एलोपैथी मे जो दवायें मरीज को दी जाती है, उन दवाओं का इफेक्ट और साइडइफेक्ट दोनों होता है। प्रीसीजन मेडिसिन डॉक्टरों को मरीज के लिए उन दवाओं को चुनना आसान बनाती है, जिसका अच्छा प्रभाव अधिक हो और दुष्प्रभाव यानी साइड इफेक्ट बहुत ही कम हो। इस कार्य में थेरेप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग काफी कारगर साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत आईसीयू में भर्ती मरीज को दी जाने वाली एंटीबॉयोटिक व अन्य दवाओं के असर को खून की एक जांच से देखा जा सकेगा। जिससे मरीज पर दवा बेहतर असर कर रही है या नहीं, यह जानना आसान होगा। एक बार दवा के असर की जानकारी हो गई तो मरीज को स्वस्थ करने में आसानी होगी।
तीन दिवसीय कार्यशला का होगा आयोजन
प्रो.अविनाश अग्रवाल ने बताया कि विभाग की तरफ से 25 जुलाई से तीन दिवसीय कार्यशाला का अयोजन किया जा रहा है। जिसमें एक्यूट केयर पेशेंट यानी किसी गंभीर बीमारी, चोट या सर्जरी के कारण तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों के इलाज की ट्रेनिंग दी जायेगी। जिसमें देशभर के डॉक्टर हिस्सा लेंगे।
इस अवसर पर डॉ. सुहेल, डॉ.श्रीवत्स, डॉ. श्रद्धा, डॉ. शांतनू समेत कई चिकित्सक मौजूद रहे।
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