अब लाइसेंस पर बिकेगा जैव उत्प्रेरक, नमूने लेकर किया जाएगा परीक्षण और कार्रवाई
प्रशांत सक्सेना/ लखनऊ, अमृत विचार : फसलों में प्रयोग होने वाली जैव उत्प्रेरक (बायोस्टिमुलेंट) अब लाइसेंस पर बिकेगी। केंद्र सरकार ने इसे यूरिया, डीएपी समेत अन्य उर्वरकों की तरह उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 में अधिसूचित किया है। लाइसेंस की अनिवार्यता करते हुए उत्पादन, बिक्री, सैंपलिंग और गड़बड़ी पर कार्रवाई की नियमावली बनाकर लागू की है। प्रदेश में नई व्यवस्था के तहत जैव उत्प्रेरक बनाने और बेचने के लिए लाइसेंस लेना होगा।
लाइसेंस अन्य उर्वरकों की तरह सक्षम अधिकारी जारी करेंगे। अब तक जैव उत्प्रेरक का उत्पादन और बिक्री सरकार के जी-2 और जी-3 प्रारूप पर स्वीकृति लेकर होती थी। इसमें बदलाव करके अन्य उर्वरकों की तरह नियमावली बनाकर लागू की है। नई व्यवस्था में जैव उत्प्रेरक की इकाइयों पर टेस्टिंग होगी। कृषि विभाग छापेमारी करके सैंपल लेगा और गुणवत्ता का परीक्षण करेगा। इससे मिलावट पर अंकुश लगेगा और गड़बड़ी मिलने पर सम्बंधित पर कार्रवाई की जाएगी। गुणवत्तायुक्त जैव उत्प्ररेक मिलने से किसानों को फायदा होगा।
पौधों की इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक जैव उत्प्रेरक
जैव उत्प्रेरक एक कार्बनिक उर्वरक है। इसका खेतों पर प्रयोग करने से पौधों की इम्यूनिटी बढ़ती है। तरह-तरह के जैव उत्प्रेरक इकाइयों पर ठीक यूरिया, डीएपी व अन्य उर्वरकों की तर्ज पर बनते हैं। लेकिन, इसे बनाने और बेचने की कोई ठोस नियमावली नहीं बनी थी। इसका केंद्र सरकार ने संज्ञान लेकर नियमावली बनाकर लाइसेंस की अनिवार्यता की है।
जिला कृषि अधिकारी, लखनऊ तेग बहादुर सिंह ने बताया केंद्र ने जैव उत्प्रेरक की नियमावली बनाकर लागू की है। उत्पादन और बिक्री बिना लाइसेंस के नहीं होगी। सैंपल लेकर जांच की जाएगी और गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई होगी। इससे गुणवत्ता का पता चलेगा और पारदर्शिता आएगी।
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