योगी सरकार ने 'वीर' सावरकर बयान मामले में राहुल गांधी को भेजे अदालती समन का किया समर्थन, जानें क्या कहा...

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 'वीर' सावरकर पर विवादास्पद बयान के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निचली अदालत की ओर से भेजे गए समन का समर्थन करते हुए कहा है कि उन पर (राहुल गांधी) लगे आरोपों से जानबूझकर नफरत फैलाने का संकेत मिलता है। 

राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर लखनऊ की एक अदालत द्वारा विपक्ष के नेता राहुल गांधी को जारी समन को उचित बताते हुए इस मामले में हस्तक्षेप न करने का अनुरोध किया है। निचली अदालत ने महाराष्ट्र में 2022 'भारत जोड़ो' कार्यक्रम के दौरान विवादास्पद टिप्पणी के मामले में समन जारी किया था। 

हलफनामे में कहा गया है कि समन आदेश केस फाइल, बयानों और जाँच रिपोर्ट की गहन पुनर्परीक्षा के बाद दिया गया, जो विपक्ष के नेता के खिलाफ लगाए गए आरोपों का समर्थन करते हैं। जाँच के आधार पर लगाए गए आरोपों से पूर्व नियोजित कार्यों के माध्यम से जानबूझकर नफरत फैलाने का संकेत मिलता है, जो अपराध की श्रेणी में आता है।

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, "मजिस्ट्रेट ने तथ्यों और साक्ष्यों पर उचित न्यायिक विवेक का प्रयोग किया और प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए और 505 के तहत मामला निर्धारित किया।" राज्य सरकार के लिखित जवाब में यह भी कहा गया है कि जब याचिकाकर्ता के पास धारा 397/399 के तहत वैधानिक उपाय पहले से मौजूद है, तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। 

सरकार के जबाव में कहा गया है कि राहुल गांधी को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार करने वाला उच्च न्यायालय का आदेश न्यायोचित और कानूनी था। इसमें कहा गया है, "इस मामले में इस न्यायालय का हस्तक्षेप उचित नहीं है।" अधिवक्ता नृपेंद्र पांडेय की शिकायत पर लखनऊ की अदालत द्वारा जारी समन के खिलाफ राहुल  गांधी की याचिका पर शीर्ष अदालत शुक्रवार को सुनवाई करने वाली है। 

गौरतलब है कि 25 अप्रैल, 2025 को उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ आगे अपमानजनक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा था। पीठ ने उनके वकील से कहा था, "स्पष्ट किया जाता है, आगे कोई भी बयान देने पर हम स्वतः संज्ञान लेंगे और राहत का कोई सवाल ही नहीं है। हम आपको स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कुछ भी बोलने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने हमें आजादी दिलाई है।" 

अधिवक्ता द्वारा दिसंबर 2024 में लखनऊ की अदालत में शिकायत दर्ज कराने के बाद आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई थी। महाराष्ट्र के अकोला जिले में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक रैली में श्री गांधी ने 17 नवंबर 2022 को कथित तौर पर टिप्पणी की थी कि विनायक दामोदर सावरकर एक ब्रिटिश नौकर थे जिन्हें पेंशन मिलती थी। 
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 4 अप्रैल 2025 को गांधी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने यह देखते हुए कि उनके पास दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 397 (निचली अदालत के आदेश को संशोधित करने की शक्ति) के तहत सत्र न्यायाधीश के समक्ष याचिका दायर करने का विकल्प है। 

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