पीलीभीत: खाओ और खिलाओ की फितरत हावी: एक से अधिक जॉबकार्ड बना दे डाला काम, मास्साब भी बन गए श्रमिक...अब कार्रवाई 

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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पीलीभीत, अमृत विचार: ग्राम पंचायतों में अब खाओ और खिलाओ की फितरत कदर हावी हो चुकी है कि पूरे का पूरा बजट ही निपटाया जा रहा है। ऐसा ही एक कारनामा ग्राम पंचायत रफियापुर का सामने में आया है। यहां ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की चौकड़ी ने नाला खुदान और मनरेगा के नाम पर फर्जीवाड़े करते हुए  5.84 लाख रुपये हड़प लिए। इधर जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर जिलाधिकारी ने रफियापुर के ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए। साथ ही उन्होंने दोषी सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।  

मामला अमरिया ब्लाक की ग्राम पंचायत रफियापुर से जुड़ा है। गांव निवासी मनोज कुमार आदि ने जिलाधिकारी को शपथ पत्र सहित सौंपी गई शिकायत में ग्राम प्रधान पर विकास कार्यों में फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन का बंदरबांट करने एवं मनरेगा कार्यों में फर्जी हाजिरी दर्शाकर धनराशि हड़नपे का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। जिलाधिकारी ने जिला अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी अशोक कुमार और बाढ़ खंड के सहायक अभियंता अमित सिंह को जांच अधिकारी नामित करते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच अधिकारियों ने जांच में 5,84,642 रुपये गबन पाते हुए ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी थी। जांच आख्या के आधार पर ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए।

ग्राम प्रधान और सचिव ने अपने जवाब दाखिल किए। परीक्षण में दोनों के स्पष्टीकरण संतोष जनक नहीं पाए गए। इस पर जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने ग्राम प्रधान परवेश सिंह वर्मा के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार पर रोक लगाते हुए अंतिम जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित कर दी। नामित जांच समिति को 15 दिन के अंदर जांच आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं जिलाधिकारी ने डीपीआरओ को जांच में दोषी पाए गए सचिव वीरेंद्र कुमार के विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उपायुक्त श्रम रोजगार को फर्जीवाड़े के दोषी रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक नासिक खान के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

नाला खुदान के पुराने कामों को दर्शाकर लाखों हड़पे
जिलाधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत रफियापुर की कराई जांच में 5.84 लाख का गबन पाया गया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम पंचायत में हसनपुर के ग्राम प्रधान द्वारा पूर्व में एक नाले का खुदान कराया गया था, मौजूदा प्रधान ने उसकी कार्य को अपना दर्शाकर 1,82,016 रुपये का भुगतान करा लिया। कमोवेश ऐसे ही मोहम्मद के खेत से पुलिया तक नाला खुदान का कार्य एवं अमरीक सिंह के खेत से पुलिया तक खुदान का कार्य एक ही है, मगर एक ही कार्य का नाम बदलकर 1,67,796 रुपये का भुगतान होना पाया गया। वहीं 10 परिवारों के एक से अधिक जाबकार्ड बनाकर 100 दिन को काम दर्शाते हुए 1,79,135 रुपये का भुगतान कर दिया गया। इतना ही नही गांव निवासी प्रताप सिंह एक कॉलेज में अध्यापन कार्य करते हैं। उनको भी मनरेगा से 13035 रुपये की मजदूरी का नियम विरुद्ध तरीके से भुगतान होना पाया गया। ऐसे में ही श्मशान भूमि पर सौंदर्यीकरण के नाम पर धेला नहीं लगाया गया, मगर इस कार्य के नाम 42660 रुपये निकाल लिए गए।

जिलाधिकारी द्वारा कराई गई जांच में ग्राम पंचायत रफियापुर में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनयिमतता पाई गई है। संबंधित ग्राम प्रधान के प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया गया है। अन्य दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जा रही है। - रोहित भारती, जिला पंचायत राज अधिकारी

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