ब्रह्मोस के बाद अब इस तकनीक का लखनऊ में निर्माण, 2,000 करोड़ रुपये से UPDIC केंद्र होगा स्थापित

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माण की शुरुआत होने के बाद अब 2,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के निवेश से इन्फ्रारेड डिटेक्टर तकनीक का निर्माण किया जाएगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ब्रह्मोस सुविधा के बाद एक इन्फ्रारेड डिटेक्टर प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने को उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (आईआरडीई) को भेजा प्रस्ताव भेज दिया है। रक्षा औद्योगिक गलियारा (यूपीडीआईसी) के लखनऊ नोड में ही इन्फ्रारेड डिटेक्टर प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किया जाना है।

राजनाथ सिंह के सांसद प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी और लखनऊ कार्यालय प्रभारी डॉ. राघवेन्द्र शुक्ल ने जानकारी दी कि यह केंद्र इन्फ्रारेड डिटेक्टरों के निर्माण और निर्माण के लिए एक उच्च प्रौद्योगिकी फैब-लाइन बनेगा, जिससे सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक रात्रि दृष्टि प्रणालियों का स्वदेशी निर्माण संभव होगा। यह परियोजना रक्षा क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को साकार करेगी।

प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद, इस प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना पर कुल निवेश 2,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा और यह इन्फ्रारेड डिटेक्टर तकनीक के निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद करेगा, जिससे भारत ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा। प्रस्तावित परियोजना से बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही इस परियोजना में विभिन्न उद्योग और शैक्षणिक संस्थान शामिल होंगे।

दरअसल, 11 मई, 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लखनऊ में अत्याधुनिक ब्रह्मोस सुविधा का उद्घाटन किया गया था। इसके बाद अब डीआरडीओ ने यूपीडीआईसी के लखनऊ नोड में एक इन्फ्रारेड डिटेक्टर प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने के लिए उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (आईआरडीई) को एक प्रस्ताव भेजा गया है।

कैबिनेट ने 25 एकड़ भूमि आवंटित की थी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 22 जुलाई, 2025 को यूपीडीआईसी के लखनऊ नोड में आईआरडीई को उपरोक्त परियोजना स्थापित करने के लिए 1 रुपये प्रति वर्ष के सांकेतिक पट्टे पर 25 एकड़ भूमि आवंटित करने को मंजूरी दी।

क्या है इन्फ्रारेड डिटेक्टर तकनीक

इन्फ्रारेड डिटेक्टर तकनीक भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होगी। जो उन्हें रात में और खराब मौसम में भी देखने की क्षमता से लैस करती है। यह तकनीक, जिसे थर्मल इमेजिंग के रूप में भी जाना जाता है, वस्तुओं से निकलने वाली गर्मी का पता लगाकर काम करती है और इसे दृश्यमान छवि में बदल देती है। इस तकनीक का उपयोग लंबी दूरी से भी दुश्मन के ठिकानों, वाहनों और कर्मियों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इससे सैन्य इकाइयों को दुश्मनों के इलाके और संभावित खतरों की बेहतर समझ हासिल करने में मदद मिलेगी।

ये भी पढ़े : 1857 की क्रांति पर आधारित उर्दू ड्रामा ‘Begum Hazrat Mahal’ का पोस्टर लॉन्च, 30 जुलाई को संत गाडगे प्रेक्षागृह में होगा मंचन

 

 

 

संबंधित समाचार