Bareilly: एंबुलेंस चालक करते हैं सांसों की सौदेबाजी, पुलिस दर्ज करेगी बयान
बरेली, अमृत विचार। एंबुलेंस चालकों का अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के साथ चल रहे कमीशनखोरी की चेन को खत्म करने के लिए पुलिस इनकी हर एक कड़ी तक पहुंचेगी। पुलिस राधिका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के डॉक्टर विवेक गुप्ता और एम्बुलेंस चालक फूल सिंह का बयान दर्ज करेगी।
उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर रुद्रपुर खेड़ा निवासी उमेश कुमार ने 2023 में अपने पिता भोला प्रसाद रामपुर के एक अस्पताल ले गए थे। हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने पिता को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया, लेकिन अस्पताल की एम्बुलेंस का चालक फूल सिंह कमीशनखोरी के चक्कर में उन्हें इज्जत नगर मिनी बाईपास पर स्थित राधिका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में भर्ती करा दिया।
जहां पर उनकी मौत हो गई। पुलिस ने एंबुलेंस चालक और डॉक्टर विवेक गुप्ता समेत अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस अब डॉक्टर और एंबुलेंस चालक का बयान दर्ज कर कमीशनखोरी के खेल के अंदर तक पहुंच कर इनके गिरोह का खुलासा करेगी। इसके लिए एसपी सिटी मानुष पारीक ने टीम गठित कर जांच शुरू कराई है।
पुलिस को सूचना मिलने से पहले पहुंचती है एंबुलेंस
अस्पतालों से एंबुलेंस चालकों को मिलने वाले कमीशन ने इस धंधे को और बढ़ा दिया है। इसके कारण कई बार पुलिस पहुंचने से पहले ही एंबुलेंस चालक पीड़ितों को अस्पताल पहुंचा देते हैं। सभी थाना क्षेत्रों में चिन्हित ब्लैक स्पॉट के आस-पास एंबुलेंस चालक बाकायदा एंबुलेंस के साथ मौजूद रहते हैं। कोई भी हादसा होने पर कई बार तो ये लोग पुलिस को सूचना भी नहीं देते और मरीज को सीधे निजी अस्पताल पहुंचा देते हैं। इसके बदले में उन्हें मोटा कमीशन दिया जाता है।
चालकों को महीने समेत नकदी के दिए जाते हैं सुविधा
सूत्रों की मानें तो एंबुलेंस चालकों को अस्पताल के कर्मी आकर नगद भुगतान करते हैं। साथ ही एंबुलेंस चालकों को पर्ची पर हस्ताक्षर करके भी दिए जाते हैं और एक रजिस्टर में रिकार्ड भी रखा जाता है। इतना ही नहीं अगर वह एडवांस के रूप में रुपये की मांग करते हैं तो वह भी उन्हें दिया जाता है। जो चालक महीने में एक साथ भुगतान लेना चाहें उसे यह भी सुविधा दी जाती है। एंबुलेंस चालकों को दो से पांच हजार रुपये तक मरीज लाने के एवज में दिए जाते हैं।
एंबुलेंस में मरीजों की सांसों की सौदेबाजी
एंबुलेंस में मरीजों की सांसों की सौदेबाजी हो रही है। मरीज लिटाते ही चालक फोन घुमाने लगते हैं। हालत गंभीर होने पर तुरंत इलाज मिले, इस पर ध्यान देने के बजाय किस अस्पताल में कमीशन ज्यादा मिलेगा, वहां ले जाकर एंबुलेंस खड़ी कर देते हैं। इस बीच मरीज की सांसें अटकी रहती हैं, डरे सहमे परिजन दुआ करते रहते हैं। मरीज के एंबुलेंस में लिटाने के बाद अस्पताल संचालकों और डॉक्टरों को फोन करते हैं, मरीज की हालत और उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में भी बताते हैं। जहां अच्छा रुपया मिलता है, मरीज को उसी हॉस्पिटल में ले जाते हैं।
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि डॉक्टर समेत एंबुलेंस चालक से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज किया जाएगा। कमीशनखोरी के खेल को जड़ से खत्म करने के लिए अलग-अलग टीमें लगाई जाएंगी। किसी भी हाल में सांसों की सौदेबाजी नहीं होने दिया जाएगा।
