शाहजहांपुर: गेहूं, चीनी और चावल की कालाबाजारी करने वाले कोटेदार पर FIR
शाहजहांपुर/ जैतीपुर, अमृत विचार। जैतीपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत शंकरपुर पिटरहाई के उचित दर विक्रेता उमेश की ओर से की जा रही भारी खाद्यान्न अनियमितता और कालाबाजारी का खुलासा हो गया। कार्डधारकों की लिखित शिकायत के बाद की गई जांच में सामने आया कि विक्रेता ने दो महीनों में 72.966 क्विंटल गेहूं, 124.524 क्विंटल चावल और 63 किलो चीनी की कालाबाजारी की। इसके अतिरिक्त ई-केवाईसी के नाम पर 50 रुपये प्रति राशन कार्ड वसूलने और अभद्र व्यवहार की भी पुष्टि हुई है।
ग्रामीण देवेन्द्र, जगदीश, कुंवरसेन आदि के दिए गए शपथ-पत्र युक्त शिकायती प्रार्थना पत्र के आधार पर पूर्ति निरीक्षक जैतीपुर ने 6 मई 2025 को दुकान का निरीक्षण किया। निरीक्षण के समय दुकान बंद पाई गई और विक्रेता अनुपस्थित थे। मौके पर मौजूद 35 से अधिक कार्डधारकों ने लिखित रूप में गवाही दी, विक्रेता राशन काटकर देता है, अंगूठा लगवाने के बाद भी पूरा राशन नहीं देता और ई-केवाईसी कराने के नाम पर रुपये वसूलता है। 12 जून को पूर्ति निरीक्षक ने दोबारा निरीक्षण किया तो दुकान में एक भी खाद्यान्न सामग्री नहीं पाई गई। जबकि ई-चालान व सप्लाई चेन डेटा के अनुसार दुकान में मई, जून और जुलाई 2025 के स्टॉक के रूप में कुल 72.966 क्विंटल गेहूं, 124.524 क्विंटल चावल और 63 किलो चीनी थी। यह खाद्यान्न न मिलने पर उसकी कालाबाजारी की पुष्टि हुई।
अनुबंध निलंबित, एफआईआर दर्ज
7 मई को ही पूर्ति निरीक्षक ने विक्रेता उमेश की दुकान का अनुबंध निलंबित करने की संस्तुति की थी, जिस पर 14 मई को जिलाधिकारी का अनुमोदन प्राप्त हुआ और 17 मई को अनुबंध तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। विक्रेता को स्टॉक सामग्री संबंधित डीलर को हस्तगत करने का निर्देश दिया गया, लेकिन उसने केवल ई-पॉस मशीन सौंपी। लगातार कई निरीक्षणों में दुकान बंद मिलने और स्टॉक ट्रांसफर न होने के चलते 13 जून को एफआईआर दर्ज कराने की संस्तुति की गई। अंततः 28 जुलाई को जिलाधिकारी से अनुमति मिलने के बाद 29 जुलाई को विक्रेता उमेश के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
पहले से थी शिकायतों की भरमार
ऐसा नहीं विक्रेता के खिलाफ अचानक कार्रवाई हो गई। उसके खिलाफ लंबे समय से ग्रामीणों की शिकायतें हो रही थीं। उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया था विक्रेता ने एक कार्ड से 50-50 रुपये लेकर ई-केवाईसी कराने की मांग की। कई बार शिकायतों के बाद भी स्थानीय स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई, जिससे विक्रेता के हौसले बुलंद होते गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि राशन मांगने पर विक्रेता गाली-गलौज करता था और राशन न देने की धमकी देता था। कई महीनों से राशन न मिलने की वजह से ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा था।
