बदायूं : महीने में दस हजार कमाने वाले के नाम खोली कंपनी, सीजीएसटी विभाग ने भेजा 4.82 करोड़ का नोटिस
नोटिस मिलने के बाद परिवार के उड़े होश, फर्जीवाड़ा होने की गवाही देते घूम रहा पीड़ित
बदायूं, अमृत विचार: मेडिकल स्टोर पर दस हजार रुपये की नौकरी करने वाले युवक को सीजीएसटी विभाग ने 4.82 करोड़ का नोटिस भेजा है। नोटिस मिलने पर युवक के परिवार स्तंभ रह गए हैं। सेंट्रल जीएसटी विभाग में पंजीकृत युवक के नाम मैसर्स पाल इंटरप्राइजेज के नाम से कंपनी खोली गई। इस कंपनी के माध्यम से एक साल में 27 करोड़ रुपए का लेने देने होना दिखाया गया है। नोटिस मिलने के बाद परेशान युवक कोई कंपनी न खोले जाने की गवाही दे रहा है। उसके द्वारा फर्जीवाड़ा होने पर एसएसपी के यहां शिकायत दर्ज कराई है।
गांव नौशेरा निवासी रामबाबू ने एसएसपी को दिए शिकायती पत्र में बताया कि वह ऑनलाइन एप पर नौकरी ढूंढ़ रहा था। नौकरी देने के बहाने उसके शैक्षिक अभिलेख, आधार कार्ड और पैन कार्ड ले लिए गए। धोखेबाजों ने युवक के शिक्षक अभिलेखों का इस्तेमाल करते हुए फर्जी फर्म खोल दी। इस फर्म के जरिए उनके द्वारा एक साल में 27 करोड़ 82 लाख रुपये का टर्नओवर दिखाया गया। साथ ही बैंक में चालू खाता भी खोला गया। धोखाधड़ी होने की जानकारी पीड़ित रामबाबू को तब हुई जब सीजीएसटी विभाग ओर से 4.82 करोड़ रुपये का बकाया होने पर नोटिस भेजा गया। इसके बाद से रामबाबू और उनका परिवार परेशान है। पीड़ित की ओर से धोखाधड़ी होने पर कार्रवाई की मांग करते हुए एसएसपी के यहां शिकायत दर्ज कराई है।
28 हजार वेतन दिए जाने का दिया गया था झांसा
पीड़ित रामबाबू ने बताया कि पिछले साल वह नौकरी तलाश रहा था। उन्होंने मोबाइल पर कुछ एप डाउनलोड करने के बाद नौकरी की तलाश करनी शुरू कर दी। एक एप पर कार कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन मांगा गया था। जिस पर फार्म भरने के दौरान उन्हें अपने सभी शैक्षिक अभिलेखों के साथ आधार और पेन कार्ड भेजे थे। उसे 28 हजार रुपये वेतन दिए जाने का झांसा दिया गया। कुछ दिन बाद मैसेज आया कि उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी। इसके बाद पीड़ित रामबाबू ने कई बार उस नंबर पर संपर्क किया। फोन कॉल भी की। लेकिन फोन नंबर बंद हो गया। एक साल बाद नोटिस मिलने पर उसके साथ फर्जीवाड़ा होने का पता चला। जिसकी शिकायत दर्ज कराई है।
टैक्स बकाया होने पर इंस्पेक्टर प्रेम कुमार को नोटिस लेकर रामबाबू के घर भेजा था। वहां पहुंचने पर फर्म फर्जी होने की जानकारी मिली। पता चला कि फर्जी फर्म बनाकर टैक्स चोरी की जा रही है। फर्जी पंजीकरण करने के लिए ऑनलाइन आवेदन होता है। आवेदन का ब्योरा मेरठ काल सेंटर भेजा जाता है। मेरठ की टीम अभिलेखों का सत्यापन करती है। भौतिक सत्यापन के आदेश मिले होते तो पूरी जानकारी की जाती। युवक के साथ फर्जीवाड़ा हुआ है। इसकी जांच की जाएगी। -आरके पंत, सेंट्रल जीएसटी अधीक्षक।
