शाहजहांपुर में बढ़ रहा बंदरों का आतंक, छत पर जाने से डर रहे लोग
शहर से लेकर गांव तक बंदरों का आतंक, नगर निगम के पास नहीं है समाधान
शाहजहांपुर, अमृत विचार। महानगर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। कभी कपड़े फाड़ते हैं तो कभी सामान उठा ले जाते हैं। छतों पर रखे गमले और पौधों को नुकसान पहुंचाना इनके लिए आम बात हो गई है। हालात यह हैं कि कई मोहल्लों में लोग छत पर जाने से बच रहे हैं, जबकि कुछ जगहों पर लोग बंदरों से बचाव के लिए हाथ में डंडा लेकर बाहर निकल रहे हैं।
नगर निगम का बंदर पकड़ने का अभियान ठप पड़ा है। पहले पकड़े गए बंदरों को वन विभाग की मदद से जंगल में छोड़ा जाता था, लेकिन वन विभाग ने इस पर रोक लगा दी। खीरी के जंगलों में बंदर छोड़ने पर निगम पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इसके बाद से अनुमति न मिलने के कारण निगम कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। बंदरों के साथ ही कुत्तों और सांड़ों की संख्या भी बढ़ रही है। नगर निगम एनिमल सेंटर का निर्माण करा रहा है, जहां कुत्तों की नसबंदी के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा। सांड़ों को पकड़ने के लिए कैटिल कैचर चल रहे हैं, लेकिन इनकी तादाद सड़कों से कम नहीं हो रही। सदर क्षेत्र के बहादुरगंज, कटिया टोला, इंदिरा नगर कॉलोनी और चौक सहित कई मोहल्लों में बंदरों के हमले आम हो गए हैं। रोजा थाना क्षेत्र के गांव सिमरई में बंदर के हमले से महिला सोमवती की मौत हो गई थी।
भावलखेड़ा के नौगवां गांव में ईश्वरवती के कान पर बंदर ने काटकर गंभीर जख्म कर दिया। गढ़िया रंगीन में एक सप्ताह में आठ लोगों को काटकर घायल किया गया, जबकि नगर के मोहल्ला नौगवां कोट में गुरुदीप कौर और उनकी पोती पर हमला कर दिया गया। जलालाबाद की गुलड़िया पंचायत में पूर्व प्रधान मातादीन वर्मा समेत दर्जनभर लोग बंदरों के हमले में लहूलुहान हो गए। ग्रामीणों और शहरी लोगों की शिकायतें लगातार नगर निगम तक पहुंच रही हैं, लेकिन ठोस समाधान न होने से बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है।
