GST 2.0: मिट्टी की ईंटों के दाम नहीं होंगे कम, आम आदमी के सस्ते घर का सपना अधूरा? जानें ताजा अपडेट
लखनऊः जीएसटी-2 की घोषणा के बाद ईंट भट्टा उद्योग में कर दरों को लेकर चल रही अनिश्चितता अब खत्म हो गई है। रविवार को राज्य कर विभाग ने एक शासनादेश जारी कर स्पष्ट किया कि मिट्टी की ईंटों पर 12 प्रतिशत जीएसटी पहले की तरह लागू रहेगा। ईंट भट्टा उद्योग को पांच प्रतिशत टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद थी, लेकिन इस निर्णय ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। साथ ही, ईंट भट्टों के लिए छह प्रतिशत की कंपोजीशन स्कीम भी यथावत रहेगी।
राज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, फ्लाई ऐश ईंट, सामान्य निर्माण ईंट, सिलिकामय मिट्टी की ईंट और छत की टाइलों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा। वहीं, रेत से बनी ईंटों पर पांच प्रतिशत टैक्स दर निर्धारित की गई है।
ईंट भट्टा उद्योग मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ा है और यह लाखों मजदूरों को मौसमी रोजगार प्रदान करता है। उद्योग संगठनों का मानना है कि टैक्स दरों में कमी से न केवल ईंटों की लागत कम होती, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्यों को भी प्रोत्साहन मिलता। हालांकि, 12 प्रतिशत टैक्स बरकरार रहने से ईंटों की कीमतों में कोई कमी नहीं आएगी, जिससे ग्रामीण उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बना रहेगा।
श्रम आधारित उद्योग को राहत की उम्मीद थी
ऑल इंडिया टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जीएसटी-2 की घोषणा के बाद से ही ईंट उद्योग में यह असमंजस था कि इसे किस टैक्स स्लैब में रखा जाएगा। पहले से ही इस पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू था। उद्योग को उम्मीद थी कि ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े इस श्रम-आधारित उद्योग को कुछ राहत मिलेगी। लेकिन, यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। साथ ही, 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब को भी खत्म नहीं किया गया है।
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