इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति मामले में एसबीआई पर लगाया 1 लाख रुपए का जुर्माना
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर पांच वर्षों तक कोई निर्णय न लेने पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा कि यदि कोई पीड़ित पक्ष अपने आवेदन पर शीघ्र निर्णय हेतु समय पर याचिका दाखिल नहीं करता, तो यह लापरवाही मानी जाएगी। अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन या याचिका दाखिल करने में देरी से यह अनुमान लगाया जाता है कि मृतक के परिवार को तत्काल कोई वित्तीय आवश्यकता नहीं है।
कोर्ट ने माना कि वर्तमान मामले में याची द्वारा की गई देरी और लापरवाही क्षमा योग्य नहीं है। कोर्ट ने इस संदर्भ में स्पष्ट दृष्टिकोण को अपनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के मामलों में अनुचित सहानुभूति और अति उदार दृष्टिकोण की अनुमति नहीं दी जा सकती। अतः याचिका खारिज कर दी गई।
हालांकि बैंक द्वारा याची के आवेदन पर लंबे समय तक कोई निर्णय न लेने को गंभीर लापरवाही मानते हुए भारतीय स्टेट बैंक पर भी 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने बंडा निवासी प्रिंसू सिंह की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार याची के पिता का निधन वर्ष 2019 में सेवाकाल के दौरान हुआ था।
इसके बाद याची ने वर्ष 2020 में अपनी मां के माध्यम से अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। लगातार पत्राचार और प्रतिनिधित्व के बाद भी बैंक ने 2025 तक कोई निर्णय नहीं लिया। इसके विरुद्ध याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिका में तर्क दिया गया है कि संशोधित योजना दिनांक 16.03.2021, जिसमें मृत्यु के छह महीने के भीतर आवेदन की समय-सीमा दी गई है, याची पर लागू होती है, क्योंकि उसने समय-सीमा के भीतर आवेदन कर दिया था, लेकिन कोर्ट ने पाया कि याची अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्षों तक पारिवारिक मुकदमेबाजी में व्यस्त रहा, इसलिए उसे कोर्ट तक पहुंच बनाने में देर हो गई।
