Movie Review: इलियो या कांतारा किसका पलड़ा भारी..., किसकी होगी 300 करोड़ के क्लब में एंट्री

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Published By Muskan Dixit
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फिल्म समीक्षा

तकनीकी रूप से दमदार फिल्म

षभ शेट्टी ने एक बार फिर कांतारा वर्ल्ड में जादू बिखेरा है, उनका लेखन, निर्देशन और अभिनय, सब दमदार है। साथ ही गुलशन देवैया, रुख्मिणी वसंत और जयराम का अभिनय भी दमदार रहा है। तीन साल पहले आई कंतारा सिर्फ 16 करोड़ में बनी थी, इस बार निर्माता ने षभ के लिए 125 करोड़ का बजट रखा था और यह पर्दे पर भी साफ दिखाई देता है। एक बार तो हमें यह एहसास होता है कि इतने बजट में इतनी बढ़िया फिल्म कैसे बन सकती है। फिल्म के दृश्य बेहद शानदार हैं, हर फ्रेम खूबसूरत लगता है। तकनीकी रूप से भी फिल्म एकदम सही है। बीजीएम और गाने कमाल के हैं, मैंने कई सालों बाद किसी फिल्म में शास्त्रीय संगीत सुना है। मुझे ये कहानी बहुत पसंद आई, षभ इसी चीज को भारतीय सिनेमा में लेकर आए।

कहानी वहीं से आगे बढ़ती है, जहां कंतारा खत्म हुई थी और फ्लैशबैक में हमें कदंब राज्य दिखाया जाता है। कदंब राज्य का राजा, जो कंतारा वन चाहता है, लेकिन वहीं मर जाता है, फिर उसका बेटा (जयराम) वहां वापस जाने की हिम्मत नहीं करता। जब बेटा बड़ा होता है तो वो राजा बनता है और उसके एक बेटा (गुलशन देवैया) और एक बेटी (रुखमणी वसंत) होती है। बेटे (गुलशन देवैया) को राजगद्दी पर बिठाकर राजा बना दिया जाता है, लेकिन जो बेटा राजा है, वो अय्या के साथ ही रहता है। यहां, कोई एक नवजात शिशु बर्मी ( षभ शेट्टी) को कंतारा वन में छोड़ देता है और वहां एक महिला, जिसके कोई बच्चे नहीं हैं, उसकी देखभाल करती है। फिल्म शुरू से अंत तक बांधे रखती है, एक भी फ्रेम हमें बोर नहीं करता। एक्शन कोरियोग्राफी कसी हुई है, युद्ध भी दिखाया गया है, वहां तकनीकें भी अच्छी थीं। हमें यह भी देखने को मिलता है कि उस समय के लोग कैसे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। स्क्रीन प्ले को उस समय को ध्यान में रखकर और हर चीज को ध्यान में रखकर दिखाया गया है। 

 समीक्षक- शिवकांत पालवे

MUSKAN DIXIT (17)

एडवेंचर फिल्म इलियो

इलियो एक अमेरिकन एनिमेटेड साइंस फिक्शन एडवेंचर फिल्म है, जिसका निर्माण पिक्सर एनिमेशन स्टूडियो ने वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स के लिए किया है। शानदार म्यूजिक, खूबसुरत सिनेमेटोग्राफी और ढेर सारे क्यूट कैरेक्टर के साथ इलियो मनोरंजन करने में सफल रही। एनिमेशन का अपना ही स्वाद अपना ही मजा है। जब-जब बचपन की तरफ लौटने का मन करता है तो एनीमेटेड मूवी ढूंढ कर छोटे बेटे के साथ देखने बैठ जाता हूं। यह मूवी इलियो नाम के छोटे बच्चे की कहानी है, जिसके माता-पिता नहीं रहे और वो अपनी बुआ ओल्गा के साथ रहता हैं। बुआ वायु सेना में मेजर है, जो अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थी, पर भतीजे की परवरिश के कारण अपना सपना, सपना समझ भूल जाने की कोशिश करती हैं।

इलियो और ओल्गा के बीच संबंध अच्छे नहीं है, जिसके चलते इलियो दूर अंतरिक्ष में दूसरे गृह पर जाने की जिद्द पर जाता हैं। एक दिन वो सैन्य ठिकाने से संदेश भेजता है, जिसे सुन एलियंस इलियो को अपने साथ ले जाते हैं। वहां जाकर इलियो क्या-क्या गुल खिलाता हैं यह देखना बड़ा मजेदार हैं।

हालांकि फिल्म साधारण है, जिस तरह की एनिमेटेड फिल्मों का हॉलीवुड में इतिहास रहा है, उस लेवल की तो नहीं है पर आप अगर क्राइम थ्रिलर, एक्शन, हॉरर फिल्में देख देख थक गए हैं तो रिफ्रेश होने के लिए इलियो फिल्म देख सकते हैं। इलियो परिवार के साथ मिलकर देखेंगे तो एक ताजा सिनेमा अनुभव होगा, पर हां बहुत ज्यादा उम्मीद रख कर मत देखिएगा।                                   समीक्षक-राजदीप जोशी


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