बरेली: सालों से मनोवैज्ञानिक की कमी से जूझ रहा मानसिक चिकित्सालय
अमृत विचार, बरेली। प्रदेश के तीन मानसिक चिकित्सालय में प्रमुख बरेली के मानसिक चिकित्सालय मनोचिकित्सक की कमी से जूझ रहा है। इस मामले में चिकित्सा अधीक्षक डा. राजीव अग्रवाल ने बताया कि मानसिक चिकित्सालय में पिछले कई सालों से मनोचिकित्सक नहीं है। इस बावत शासन से कई बार लिखित पत्र के माध्यम से जानकारी दी …
अमृत विचार, बरेली। प्रदेश के तीन मानसिक चिकित्सालय में प्रमुख बरेली के मानसिक चिकित्सालय मनोचिकित्सक की कमी से जूझ रहा है। इस मामले में चिकित्सा अधीक्षक डा. राजीव अग्रवाल ने बताया कि मानसिक चिकित्सालय में पिछले कई सालों से मनोचिकित्सक नहीं है। इस बावत शासन से कई बार लिखित पत्र के माध्यम से जानकारी दी जा चुकी है।
सूबे में मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने वाराणसी, आगरा और बरेली में मानसिक अस्पताल खोला था। बरेली के इस अस्पताल की स्थापना सन् 1862 में हुई थी। शुरूआती दौर में यहां के मानसिक अस्पताल की हालत बहुत बेहतर थी। मरीजों के लिए सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन समय के साथ-साथ यह अस्पताल भी उपेक्षा का शिकार होता चला गया। अस्पताल में डॉक्टर, नर्स समेत अन्य स्टाफ की बेहद कमी है।
यहां के अस्पताल की बात करें तो मनोचिकित्सक के आठ पद सृजित हैं, लेकिन सिर्फ तीन मनोचिकित्सक ही तैनात हैं। दस बेड पर एक नर्स के हिसाब से करीब 50 नर्सो की जरूरत हैं, लेकिन एक भी नर्स नहीं है। किसी तरह संविदा पर पांच नर्से मरीजों की देखभाल में लगी हैं। दो मनोवैज्ञानिक के पद आज तक खाली पड़े हैं।
इस समय यहां 13 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, पर तीन ही तैनात हैं। मानसिक अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. सालीग्राम बताते है कि मानसिक अस्पताल में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड व अन्य राज्यों से मरीज आते है। इसके अलावा शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के करीब 400-500 मरीजों को ओपीडी में परामर्श दिया जाता है। ऐसे में चिकित्सकों की कमी से कई बार मरीजों एवं उनके तीमारदार को दूर-दराज से अस्पताल के चक्कर काटना पड़ते है। इसके अलावा 50-60वार्ड में भर्ती मरीजों को भी चिकित्सक परामर्श देते है।
मानसिक चिकित्सालय में काउंसर न होने के चलते कई मरीजों को उन्हें जिला अस्पताल के मन-कक्ष में रेफर करना पड़ता है।
चिकित्सकों की कमी के चलते शुरु हुआ राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षिण शिविर चिकित्सकों की कमी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि प्रत्येक मानसिक चिकित्सालय में सीएचसी-पीएचसी के चिकित्सकों को मनोरोगों की जानकारी दी जाएगी। जिससे ग्रामीण इलाकों के मरीजों के मनोरोगी होने पर उसकी पहचान कर मानसिक अस्पताल में रेफर किया जा सके। वर्तमान मानसिक चिकित्सालय की ओपीडी परिसर में 30 चिकित्सकों के बैच में मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मानसिक चिकित्सालय में पिछले कई सालों से मनोचिकित्सक नहीं है। इस बावत शासन से कई बार लिखित पत्र के माध्यम से जानकारी दी जा चुकी है। मरीजों को काउसलिंग के लिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। -डा. राजीव अग्रवाल, चिकित्सा अधीक्षक
