बरेली: निजी बसों का संचालन बंद, मालिक बस बेचने की तैयारी में

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बरेली, अमृत विचार। लाकडाउन में अधिकतर निजी बसों का संचालन बंद हो गया है। ऐसे में बस मालिकों के सामने बीमा का भुगतान व टैक्स भरने के साथ ही बैंकों की किस्त जमा करने की चिंता सताने लगी है। उनका साफ कहना है कि पिछले साल लाकडाउन में प्रदेश सरकार ने केवल दो महीने का …

बरेली, अमृत विचार। लाकडाउन में अधिकतर निजी बसों का संचालन बंद हो गया है। ऐसे में बस मालिकों के सामने बीमा का भुगतान व टैक्स भरने के साथ ही बैंकों की किस्त जमा करने की चिंता सताने लगी है। उनका साफ कहना है कि पिछले साल लाकडाउन में प्रदेश सरकार ने केवल दो महीने का टैक्स माफ किया था। जबकि कई राज्यों में छह से आठ महीने का टैक्स माफ हुआ था। इस बार भी रोड टैक्स माफ करने को सरकार से गुहार लगा चुके हैं। फिर भी कोई सुनने को तैयार नहीं है। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि बसों को बेचने की नौबत आ गई है।

वर्तमान में जिले में लगभग चार सौ निजी बसें हैं। जिसमें से लगभग 100 बसें निजी व सरकारी बैंकों से फाइनेंस कराई गई हैं। करीब डेढ़ सौ लंबी दूरी की बसें भी हैं। परिवहन निगम की बसों की तरह ही निजी बसों में भी अधिकतम पांच से दस सवारियां ही बमुश्किल सफर कर रहीं हैं। इससे प्रतिदिन लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा कुछ बसें खड़ी होने पर भी हर माह बैंक किस्त भरना पड़ रहा है। बस ऑपरेटरों के मुताबिक एक माह के भीतर टैक्स व इंश्योरेंस के रूप में लगभग पंद्रह हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

शासन स्तर पर नहीं हुई कोई सुनवाई
लाकडाउन में बसों के पहिये थमने से परेशान बरेली बस ओनर वेलफेयर एसोसिएशन ने पिछले दिनों परिवहन आयुक्त को पत्र भेजा था। इसमें मई से छह महीने का टैक्स माफ और आगामी छह महीने का आधा टैक्स करने, सभी यात्री वाहन परमिट, फिटनेस की वैद्याता बिना किसी शुल्क एक साल बढ़ाने, स्कूल बस का टैक्स मार्च 2021 से अग्रिम आदेश तक, परमिट बनवाने के लिए वाहन पोर्टल अगले महीने का टैक्स, फिटनेस बीमा की बाध्यता को तत्काल समाप्त करने, वाहन समर्पण और समर्पण अवधि बढ़ाने की फीसदी का विकल्प वाहन पोर्टल पर देने समेत नौ मांगें प्रमुख रूप से थीं। लेकिन सरकार की तरफ से छूट को लेकर किसी तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया। इससे बस ऑपरेटर्स में निराशा है।

पिछले साल भी कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने बस ऑपरेटरों को झटका दिया था। लेकिन राहत की बात यह थी कि सरकार ने रोड टैक्स समेत कई तरह की छूट दी थी। इस बार छूट को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। संचालन बंद होने से कई बसें बिकने की कगार पर आ गईं हैं। -राकेश कालरा, अध्यक्ष, बरेली बस ओनर वेलफेयर एसोसिएशन

लाकडाउन में बसों के पहिये पूरी तरह थम चुके हैं। पिछले साल भी कुछ इसी तरह की स्थिति थी। आने वाले दो से तीन साल में भी कारोबार पटरी पर लौटना मुश्किल होगा। गोदाम में खड़ी कई बसें कवाड़ा होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं फिर भी सरकार हमारी मांग मानने को तैयार नहीं है। -सचिन ढींगरा, निजी बस मालिक

बस की कीमत अधिक होने के कारण मालिक बसों को फाइनेंस कराते हैं। संचालन नियमित होने पर किस्त जमा करने की परेशानी नहीं होती है। लेकिन संचालन बंद हैं कई गाड़ियां बिकने की कगार पर हैं। मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री से टैक्स में छूट की मांग की जा रही है। -महेंद्र शर्मा, निजी बस मालिक

निजी बसों का नियमित संचालन एक महीने से नहीं हो सका है। ऑपरेटरों को खड़ी बसों का टैक्स अदा करना पड़ रहा है। पिछले साल भी कोरोना संक्रमण की वजह से काफी घाटा हुआ है। इसलिए हमारी परेशानी को देखते हुए सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। – सोमनाथ गुप्ता, निजी बस मालिक

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