बरेली: परचम कुशाई से उर्स-ए-अजहरी का आगाज, सादगी से निकला जुलूस

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बरेली, अमृत विचार। ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खां अजहरी मियां के दो दिवसीय उर्स का आगाज अजहरी परचम लहराने के साथ हो गया। दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद मियां ने जमात रजा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उर्स प्रभारी सलमान मियां समेत जमात के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की मौजूदगी में परचम …

बरेली, अमृत विचार। ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खां अजहरी मियां के दो दिवसीय उर्स का आगाज अजहरी परचम लहराने के साथ हो गया। दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद मियां ने जमात रजा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उर्स प्रभारी सलमान मियां समेत जमात के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की मौजूदगी में परचम कुशाई की रस्म अदा की।

महामारी के चलते परचमी जुलूस सादगी के साथ निकाला गया। असर की नमाज के बाद शाम छह बजे तीनों परचमी जुलूस शाहबाद, सैलानी और आजमनगर से दरगाह ताजुश्शरिया पर पहुंचे। परचमी जुलूस में कोविड प्रोटोकॉल के साथ चंद बाइक सवार शामिल हुए। परचम कुशाई की रस्म के बाद फातिहा और कोरोना के खात्मे की दुआ की गई।

वहीं, इशा की नमाज बाद दरगाह पर मिलाद की महफिल सजाई गई। नईम रजा तहसीनी और मुस्तफा मुर्तजा अजहरी ने ताजुश्शरिया के लिखे हुए कलाम पेश किए। इस मौके पर मोईन खान, हाफिज इकराम रजा खां, मौलाना निजामुद्दीन, मुफ्ती अफज़ाल रजवी, मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारुकी, कारी काजिम रजा, मौलाना शम्स रज़ा, मौलाना अजीमुद्दीन अजहरी आदि मौजूद रहे।

कुल की रस्म के साथ होगा उर्स का समापन
जमात रजा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि बुधवार को फजर की नमाज के बाद दरगाह पर कुरानख्वानी हुई। दरगाह ताजुश्शरिया और मथुरापुर स्थित मदरसा जामियातुर रजा में फजर के नमाज के बाद कुरान ख्वानी और नातो मनकबत की महफिल सजाई जाएगी। फिर ताजुश्शरिया के वालिद मुफस्सिरे आजम हिंद इब्राहिम रजा खां (जिलानी मियां) के कुल शरीफ की रस्म सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर अदा की जाएगी। असर की नमाज के बाद मनकबत और फिर उलमा-ए-इकराम की तकरीर होगी। शाम को 07 बजकर 14 मिनट पर ताजुश्शरिया के कुल की रस्म के साथ दो दिवसीय उर्स का समापन हो जाएगा।

ताजुश्शरिया इल्म का खजाना-नश्तर फारूकी
ताजुश्शारिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां के बारे में बोलते हुए मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारुकी ने कहा कि उन्होने दुनिया भर के सुन्नी मुसलमानों को इल्म का खजाना दिया। यही वजह है कि पूरी दुनिया उन्हें ताजुश्शरिया के नाम से जानती है। अजहरी मियां ने अपने 75 वर्षीय जीवन काल में लाखों लोगों को अच्छे विचारों से अवगत कराया। जामिया अजहर मिस्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी और अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी, फारसी, पंजाबी, माराठी, बंगाली, गुजराती समेत अन्य 11 भाषाओं में महारत हासिल थी। इसके अलावा उर्दू, अरबी, फारसी और हिंदी भाषाओं में शायरी भी की। जो सफीना ए बख्शिश के नाम से जानी जाती है। अजहरी मियां ने 61 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं।

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