munshi premchand
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31 जुलाई का इतिहास: आज ही के दिन हुआ था प्रसिद्ध हिन्दी कहानीकार और उपन्यासकार प्रेमचंद का जन्म
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By Deepak Mishra
नई दिल्ली। भारतीय एवं विश्व इतिहास में 31 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं निम्न हैं:- 1498: क्रिस्टोफल कोलंब अपनी तीसरा यात्रा के दौरान त्रिनिदाद द्वीप पहुंचे। 1658: औरंगजेब ने स्वयं को मुगल सम्राट घोषित किया। 1865: ऑस्ट्रेलिया में दक्षिण पूर्व क्लीव्सलैंड...
कफन की प्रभावपूर्ण नाट्य प्रस्तुति से नशाखोरी की प्रासंगिकता पर कड़ा प्रहार
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By Vishal Singh
श्रीगंगानगर। नशाखोरी के पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव आज भी उतनी ही खतरनाक तथा प्रासंगिक हैं जितने की कई दशक पहले थे। प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने नशाखोरी के दुष्परिणामों को इंगित करते हुए ..कफन.. कहानी की रचना की थी। इसी...
कानपुर में बनी थी मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर फिल्म "सवा सेर गेहूं"
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By Pradumn Upadhyay
अमृत विचार, कानपुर । मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी "सवा सेर गेहूं" पर कानपुर में पहली फिल्म बनायी गयी थी। बताते हैं कि यह शहर के नावेल्टी टॉकीज में लगी थी। फिल्म "सवा सेर गेहूं" के निर्माता और निर्देशक ने...
आज का इतिहास: कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि, जानिए 8 अक्टूबर की महत्वपूर्ण घटनाएं
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By Amrit Vichar
नई दिल्ली। आठ अक्टूबर की तारीख इतिहास में धनपत राय श्रीवास्तव की पुण्यतिथि के तौर पर दर्ज है। लोगों को यह नाम कुछ अनजाना सा लग सकता है, लेकिन अगर कहें कि आठ अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद का निधन हुआ तो कलम के जादूगर को हर कोई पल में पहचान जाएगा। हिन्दी और उर्दू …
ऐक्ट्रेस…
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By Amrit Vichar
रंगमंच का परदा गिर गया। तारा देवी ने शकुंतला का पार्ट खेलकर दर्शकों को मुग्ध कर दिया था। जिस वक़्त वह शकुंतला के रूप में राजा दुष्यन्त के सम्मुख खड़ी ग्लानि, वेदना, और तिरस्कार से उत्तेजित भावों को आग्नेय शब्दों में प्रकट कर रही थी, दर्शक-वृन्द शिष्टता के नियमों की उपेक्षा करके मंच की ओर …
शतरंज के खिलाड़ी
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By Amrit Vichar
वाजिदअली शाह का समय था। लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था। छोटे-बड़े, ग़रीब-अमीर सभी विलासिता में डूबे हुए थे। कोई नृत्य और गान की मजलिस सजाता था, तो कोई अफीम की पीनक ही में मज़े लेता था। जीवन के प्रत्येक विभाग में आमोद-प्रमोद का प्राधान्य था। शासन-विभाग में, साहित्य-क्षेत्र में, सामाजिक अवस्था में, …
तेंतर…
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By Amrit Vichar
1-आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी; जिसकी चिंता में घर के सभी लोग विशेषतः प्रसूता पड़ी हुई थी। तीन पुत्रों के पश्चात् कन्या का जन्म हुआ। माता सौर में सूख गयी, पिता बाहर आंगन में सूख गये, और पिता की वृद्धा माता सौर द्वार पर सूख गयीं। अनर्थ, महाअनर्थ! भगवान् ही कुशल करें तो हो? …
घर जमाई…
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By Amrit Vichar
1- हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा। घर में से धुंआ उठता नज़र आता था। छन-छन की आवाज़ भी आ रही थी। उसके दोनों साले उसके बाद आए और घर में चले गए। दोनों सालों के लड़के भी आए और उसी तरह अन्दर दाखिल हो गए; पर …
गोरखपुर: मुंशी प्रेमचंद जयंती- कथा सम्राट मुंशी जी को विविध रूप में याद किया गया
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By Amrit Vichar
गोरखपुर। प्रख्यात साहित्यकार एवं कथाकर मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के अवसर पर आज गोरखपुर में विविध नाटकों एवं साहित्य की गोष्ठियों में के माध्यम से उन्हें याद किया गया। मुख्य रूप से दो दशकों से भी अधिक समय से मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के अवसर पर इप्टा द्वारा उनकी कालजयी कहानियों का नाट्य स्पान्तरण कर …
इस्तीफ़ा…
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By Amrit Vichar
दफ्तर का बाबू एक बेजबान जीव है। मजदूरों को आंखें दिखाओ, तो वह त्योरियॉँ बदल कर खड़ा हो जाएगा। कुली को एक डाँट बताओ, तो सिर से बोझ फेंक कर अपनी राह लेगा। किसी भिखारी को दुत्कारों, तो वह तुम्हारी ओर गुस्से की निगाह से देख कर चला जायेगा। यहॉँ तक कि गधा भी कभी-कभी …
बलिदान…
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By Amrit Vichar
मनुष्य की आर्थिक अवस्था का सबसे ज्यादा असर उसके नाम पर पड़ता है। मौजे बेला के मंगरू ठाकुर जब से कान्सटेबल हो गए हैं, इनका नाम मंगलसिंह हो गया है। अब उन्हें कोई मंगरू कहने का साहस नहीं कर सकता। कल्लू अहीर ने जब से हलके के थानेदार साहब से मित्रता कर ली है और …
मुंशी प्रेमचंद ने जब काट दिया था लड़के का कान…
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By Amrit Vichar
हिंदी के उपन्यास सम्राट कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य के खजाने को लगभग एक दर्जन उपन्यास और करीब 250 लघु-कथाओं से भरा है। पहला उपन्यास उर्दू में लिखा था। यह बातें तो हम जानते हैं लेकिन उनके निजी …
