बरेली: … तो अफसरों की मौजूदगी में भ्रष्टाचार की नींव पर बना था पंचायत घर

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बरेली, अमृत विचार। बिथरी चैनपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत फरीदापुर इनायत खां में निर्माणाधीन पंचायत भवन के निर्माण में धांधली उजागर होने पर निर्वतमान प्रधान कमलेश पटेल, डीआरडीएम के अवर अभियंता महेंद्र कुमार और ग्राम विकास अधिकारी विवेक गंगवार के खिलाफ रिपोर्ट तो दर्ज चुकी है लेकिन अभी सभी से 16 लाख रुपये की रिकवरी …

बरेली, अमृत विचार। बिथरी चैनपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत फरीदापुर इनायत खां में निर्माणाधीन पंचायत भवन के निर्माण में धांधली उजागर होने पर निर्वतमान प्रधान कमलेश पटेल, डीआरडीएम के अवर अभियंता महेंद्र कुमार और ग्राम विकास अधिकारी विवेक गंगवार के खिलाफ रिपोर्ट तो दर्ज चुकी है लेकिन अभी सभी से 16 लाख रुपये की रिकवरी की जानी है।

इस कार्रवाई को लेकर अब अफसरों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। पंचायत भवन की नींव भरने से लेकर लिंटर डलने तक कई बार निरीक्षण हुआ। डीसी मनरेगा समेत कई प्रशासनिक अफसरों ने मौका मुआयना किया। सब कुछ ओके बताया। अंतिम समय तक कहीं किसी की कोई शिकायत नहीं रही, लेकिन डीएम की जांच में घोटाला उजागर होने पर तीनों पर हुई कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रकरण की ठीक से जांच हुई तो कई और का फंसना भी तय है।

बता दें, दर्ज एफआईआर के मुताबिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक पंचायत भवन की नींव तैयार करने में सरिया नहीं लगाई थी। दीवारों पर सीमेंट के साथ नदी की रेत का इस्तेमाल हुआ था। जिसके चलते सिर्फ नौ महीने में पंचायत भवन के पिलर टेढ़े हो गए थे। पंचायत भवन में शासन के अनुदान के 17.46 लाख और मनरेगा के आठ लाख रुपये से निर्माण हुए थे।

बिथरीचैनपुर के सहायक विकास अधिकारी शिखर गुप्ता की रिपोर्ट पर डीएम नितीश कुमार ने दौरा किया तो सिर्फ सीमेंट, बजरफुट, नदी की रेत का इस्तेमाल हुआ मिला था। जिसके बाद जांच कराई गई और डीएम ने पंचायत भवन के निर्माण में लगी धनराशि की रिकवरी के अवर अभियंता, सचिव और निवर्तमान ग्राम प्रधान से दुरुपयोग हुई धनराशि के बराबर धनराशि की वसूली करने के निर्देश दिए।

पूर्व प्रधान ने सरकारी मशीनरी के खिलाफ खोला मोर्चा
पूर्व प्रधान कमलेश पटेल ने रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अब सरकारी मशीनरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तमाम फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित उनकी ग्राम पंचायत को जिन अफसरों ने पुरस्कार दिलाया वह अब राजनीतिक दबाव के चलते कार्रवाई कर रहे हैं। पंचायत भवन में किसी तरह की निर्माण सामग्री में धांधली नहीं की गई। नींव भरने से लेकर लिंटर पड़ने तक विकास भवन के तमाम अफसरों ने निरीक्षण किया।

इतना ही नहीं शासन से आने वाले अफसरों को भी इसी ग्राम पंचायत का निरीक्षण कराया जाता था ताकि किसी तरह की फजीहत न हो लेकिन अब विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सत्ताधारी पार्टी से जड़े नेता के इशारे पर यह साजिश रच दी गई ताकि हार मानकर वह घर बैठ जाए।

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